Book Title: Mukta Bhog ki Samasya aur Bramhacharya
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 7
________________ स्वकथ्य इन्द्रिय विजय केवल अध्यात्म का सूत्र नहीं है, वह स्वास्थ्य का सूत्र भी है । अध्यात्म-शासन में उसकी सीमा व्यापक हो सकती है । स्वास्थ्य के क्षेत्र में उसकी सीमा छोटी भले हो, किन्तु सीमा अत्यन्त अनिवार्य है। वर्तमान युग में इन्द्रिय तृप्ति को जो असीमता दी है, उसका परिणाम है स्वास्थ्य की हानि और अपराधी मनोवृत्ति को प्रोत्साहन । भोगवादी चिन्तन की धारा प्रलंब है, इसीलिए मुक्तभोग की चर्चा उन्मुक्त भाव से हो रही है । उसके घातक परिणाम भी सामने आ रहे हैं । परिणाम की समीक्षा के बाद यदि चिन्तन ब्रह्मचर्य की ओर मुड़े, सीमा-बंध का प्रयोग किया जाए तो दैहिक स्वास्थ्य और सामाजिक स्वास्थ्य — दोनों की पर्याप्त सुरक्षा हो सकती है। चाड़वास २६ जनवरी १९९७ Jain Education International For Private & Personal Use Only आचार्य महाप्रज्ञ www.jainelibrary.org

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