Book Title: Mukta Bhog ki Samasya aur Bramhacharya
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 10
________________ अक्षय शक्ति का महामंत्र प्रतिभा विकास का संयंत्र बनता है विशुद्ध भावतंत्र मानव के लिए सर्वतोभद्र यंत्र । वर्तमान युग का यक्ष-प्रश्नभोगवादी अवधारणा का समर्थन सम्मोहक विज्ञापन उन्मुक्त प्रदर्शन विषय-भोग का आकर्षण दिग्भ्रान्त मानव मन चारित्रिक अध: पतन उदात्त भारतीय संस्कृति का क्षरण बढ़ रही है आधि-व्याधि एड्स जैसी लाइलाज व्याधि भोग की यह भयावह निष्पत्ति त्रासद असह्य विपत्ति आक्रान्त और भयभीत मानव की स्थिति साक्ष्य है सुभाषित सूक्त की पंक्तिभोगा न भुक्ता : वयमेव भुक्ताः । महाप्रज्ञ का प्रस्तुत सृजन युवा मन की अहम समस्या का विश्लेषण त्याग और संयम का मूल्यांकन काम-संतप्त मानव का दिशादर्शन । मुक्त भोग की समस्या और ब्रह्मचर्य का स्वाध्याय बह्मचर्य के प्रयोग बने नवजीवन अध्याय सुलझेगी जीवन की जटिल पहेली खुलेंगी दिशाएं नई नवेली मिलेगी नई दीप्ति तेजोमय कान्ति मन और इन्द्रिय की दुनिया से परे टूट जाएंगे दुख: के घेरे सुख का स्रोत बहेगा अविकल आनन्द की गाथा गाएगा हर पल । बीदासर Jain १ मार्च १९९७०nal मुनि धनंजयकुमार For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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