Book Title: Muhurt Chintamani Satik
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Page 14
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुलिमरणपमिति वैद्यकेपि पूर्वजन्मशतं पापंव्याधिरूपेणचायतेजतिसर्वप्यापीनासाधारण शम नकर्मजलेपिसाध्यासाचलेनौविध्यम् तत्रापि होपायःसखोपायोहि विधःसाध्यउच्यते साध्येहिविधीज्ञेयोसाध्योयथ्यापनि क्रियः साध्यायाथाखमायांतियाप्याश्यासाध्यतातथा नति प्राणानसाध्यास्तनराणामकियावतामित्यादिनाचिकित्सव्याधेदृढमूललमन्येषामढकर्ममू लखनिश्चीयते अतोदेवस्येदृशंदौविध्यमस्ति अनःशौनकवाक्यानामयमर्थः येनलिति येनपु रुपेणयत्याप्तव्यंअवश्यंभोक्तव्यंढकर्मोपार्जितमितियावत् तदन्यथाकर्तुरहस्पतिरपिनशक्तः अर्थादन्यदहटकोपार्जितमन्यथाकर्तृशक्तइत्यर्थः अनोनिमित्तशकुनादिभिर्दुष्टफलेजातेबौ | तिथीशावन्हिकौगौरीगणेशोहिर्यहोरविः शिवोदुर्गानकोविश्वेहरिकामाशिवः शशा धायनादिविहितेननच्छांतिदानादिरूपधर्मेणपयत्नेनतन्निवय॑तेशव ने अन एक्तेनैचोक्तं सपरीक्षितंचिलग्नधर्मार्थसरवायदंपत्योः अपराक्षितंधिलग्ननहिदेयंपंडितेनदेवरि |दा अयशोबुनिधौमज्जतिशास्त्रमविज्ञाययोदयादिति गृहस्पतिरपीइंगसाहस्वभावादेवकालोय रामाशासमन्वित अनादिनिधन सोननिर्दोषोननिर्गुणः तस्मानिर्दोषकालार्थेमुहूर्तमधिगलता म कालःशमोगुणैयुत्तोबलवादिःशापदः दोषैर्युक्तोपिचापाप्यैर्वृहुभियंत्ययंहयोरिति अनःशमा मुहूर्तबलेनपूर्वकर्मार्जितमशामपिदैवफलंनिवार्यरत्यवद्यम् 2 अथनियोशाननुष्टुभाह तिथी For Private And Personal Use Only

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