Book Title: Merunandgani Virachit Gautam Swami Chandasi
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 2
________________ [57 ] नायक त्रिहुं भुवणहतणा जोयई जासु पसाउ । इक्क जीह किम वत्रियइ सो गोयमु गणराउ तहवि सु गणहरु संधुणवि पामिसु निम्मल बुद्धि । जसु सामिय नामग्गहणि फुरई अचिंतिय सिद्धि होइ सु नरु कविचक्कवइ, लच्छि - सरस्सइ - कंतु । जो आराहइ इक्क-मणि इंद्रभूति भगवंतु सिरि-गोयम - गणहरु जयउ बहुविहलद्धिसमिद्ध । सयल - सूरि- चूडा - रयणु जिणसासणि सुपसिद्ध कज्जारंभिर्हि जे भविय गोयमु चित्ति धरंति । ते गलहत्थिय दुरियभरु दुत्तरु झत्ति तरंति सिरिगोयमगुरु -पय- कमलु हियइ - सरोवरि जाहं । बालक जिम रंगिहिं रमई नवनिहि अंगणि ताहं जे गुणियण नियर्माणि धरई अहनिसि गोयम- झाणु 1 ते रायहं मंदिर लहइं सिरि सोहगु संमाणु ॥ प्रह उवि भाविहिं भणई जे गोयम-गुरु- नामु । ते धणु भोयणु पंगुरणु पामई मण- अभिरामु इणि भवि परभवि भवियजण पामिय सुक्ख-सयाई । भवसायरु लीलई तरइं गोयम - पाय पसाइं गोयमसामिउ मई थुणिउ इम गरुयउ गुणवंतु । संघ - मरु-नंदण - वणिहिं सुरतरु जिम जयवंतु सिरि- गोयम - गणितिम जिणसासणि सोहइ जिम निसि चंदु | वर - गुब्बर- गामि मगह - महि- मंडलि बंभ-वंस आनंदु || Jain Education International ॥३॥ For Private & Personal Use Only 1811 ॥५॥ ॥६॥ ॥७॥ ||८|| ९॥ ||१२ दूहा || ता । सुरतरु जिम जयवंतु महावणि, सुरभंडारि जेम चिंतामणि । दिणमणि जिम सोहइ गयणंगणि, तिम जिणसासणि सिरि-गोयम-गणि ॥१३॥ ||१०|| ।।११।। www.jainelibrary.org

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