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नायक त्रिहुं भुवणहतणा जोयई जासु पसाउ । इक्क जीह किम वत्रियइ सो गोयमु गणराउ
तहवि सु गणहरु संधुणवि पामिसु निम्मल बुद्धि । जसु सामिय नामग्गहणि फुरई अचिंतिय सिद्धि
होइ सु नरु कविचक्कवइ, लच्छि - सरस्सइ - कंतु । जो आराहइ इक्क-मणि इंद्रभूति भगवंतु
सिरि-गोयम - गणहरु जयउ बहुविहलद्धिसमिद्ध । सयल - सूरि- चूडा - रयणु जिणसासणि सुपसिद्ध
कज्जारंभिर्हि जे भविय गोयमु चित्ति धरंति । ते गलहत्थिय दुरियभरु दुत्तरु झत्ति तरंति सिरिगोयमगुरु -पय- कमलु हियइ - सरोवरि जाहं । बालक जिम रंगिहिं रमई नवनिहि अंगणि ताहं
जे गुणियण नियर्माणि धरई अहनिसि गोयम- झाणु 1 ते रायहं मंदिर लहइं सिरि सोहगु संमाणु ॥
प्रह उवि भाविहिं भणई जे गोयम-गुरु- नामु । ते धणु भोयणु पंगुरणु पामई मण- अभिरामु
इणि भवि परभवि भवियजण पामिय सुक्ख-सयाई । भवसायरु लीलई तरइं गोयम - पाय पसाइं
गोयमसामिउ मई थुणिउ इम गरुयउ गुणवंतु । संघ - मरु-नंदण - वणिहिं सुरतरु जिम जयवंतु
सिरि- गोयम - गणितिम जिणसासणि सोहइ जिम निसि चंदु | वर - गुब्बर- गामि मगह - महि- मंडलि बंभ-वंस आनंदु ||
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९॥
||१२ दूहा || ता ।
सुरतरु जिम जयवंतु महावणि, सुरभंडारि जेम चिंतामणि । दिणमणि जिम सोहइ गयणंगणि, तिम जिणसासणि सिरि-गोयम-गणि ॥१३॥
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