Book Title: Mantri Karmachand Vanshavali Prabandh
Author(s): Jinvijay
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan
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कवि मल्ल कृत
मंत्री श्व र कर्मचन्द्र व छावत नि साणी ।
मलकीसर नाम ले पूरण ब्रह्म जहानका । जिण धरती धरि नीरनै निरधार धर्या असमानका । तिस पीछे समरुं शारदा मोहि अङ्क बतावै ज्ञानका । आदि वरणौ करमचंद नाम लिउं पुरखानका ॥ सागर राजा देवडा नाडूल पहिलै थानका । जिण देवलवाड बसाइके माल लिया मलवाबका । तस पाटे उदा बोहित्थ राउ जिण देश उजाल्या भानका । राणौ भयौ करणराव जिण गढ लिया मछंदर आनका ॥ २ जिण गिरंद नवा गढ गल्या कालयवन खुरसानका । सब साह समंधर ऊधरे जिण जैन धर्या जीय ध्यानका । शेत्रुंज गिरनार जाइ करि नाम कहाया दानका । फोफलिया भया तेजपाल धन सायर सातम मानका ॥ areer मुंहता मंडली मूल मंत्री कुली दीवानका । कडवा मुंहता महित था चीतोड हुकम गढ रानका । मेर मुंहता मेर ही रिण खांग कमर करवानका | मांडण मुंहता भीव जाणि भुज अरजन जैसे बाणका ।। ऊदा मुहना मारका जिण संघ वली वे वानका । नागदे मुंहता देत ही कुल आलम सवे विहानका । जेसल मुंहता करन जाण दे कंचन बारह वानका ॥
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कहुं मुहंता करमसी जिण पण राख्या वीकाणका । वरसिंघ मुहंता ऊजला उजेलै दादा नानका । नगराज मुंहता राजवी बलबोलनको अभिमानका ॥
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अ संग्राम पाटे गढ़पति चढि दिल्ली भज्या खत्रियानका । अब कर्मचन्द अवल्लीया जिण कोट करै अवराणका । जिण पैंतीस दुरमख्यमें वड दान दिया धन धानका । लाहोर महोछव करमचंद किया जुगपरधानका ॥ पद बडा जिनसिंहरि करि आदर बहुमानका । वे कीमति खरच्यौ दरब कोईक मलि करै न बियानका । सवा कोडि नव हाथिया नव गांव पांचसै ऐराकी रानका । भागचंदकों द्वा करै कुल आलम सबे जिहानका ॥ खग्ग तपै तिहुं लोकमें लिखमीचंद सुजानका । गुरूकै नाते मल्हकुं गांव दिया तोसामका । परिवार अमर करमे तदा जा जब लग नाम पुराणका । वे करमचंद मंत्री भया दिल्लीके सुलताणका ॥ ॥ इति करमचंदरी नीसाणी कवि मल्हरी कही ॥
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