Book Title: Manohar Dipshikha
Author(s): Madhusmitashreeji
Publisher: Vichakshan Prakashan Trust

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Page 8
________________ आशीर्वचन भौतिकवाद की चकाचौंध में लोग मतिभ्रमित होते जा रहे है। सारा वातावरण जीव को पतन की ओर ले जाने में सहायक हो रहा है। ऐसे समय में आध्यात्म साहित्य का प्रकाशन क्षतिपूर्ति में सहायक सिद्ध होता है ! इससे जैन, जैनेतर सभी समाज को लाभ प्राप्त हो रहा है। इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए परम पूज्य खरतरगच्छाचार्य प्रवर श्रीमज्जिन महोदय सागर सूरीश्वर जी म.सा. की आज्ञानुवर्तिनी शासन ज्योति श्री मनोहर श्री जी म.सा.की सुशिष्या आर्या मधुस्मिता श्री जी ने-“मनोहर दीपशिखा'पुस्तिका में मनोहर श्री जी म.सा.के प्रवचनो का संकलन एवं संपादन किया है।। उनका यह प्रथम प्रयास सराहनीय है। प्रवचन की कुशलता एवं बाल जीवों को समझाने की सरलता का पुस्तक में सुन्दर दर्शन होता है। जनसमुदाय को यह पुस्तक उपयोगी सिद्ध होगी ऐसा मैं मानती हूँ। गुरुदेव से यही मंगल कामना करती हूँ कि भविष्य में इसी प्रकार संयम साधना के साथ-साथ साहित्य साधना चलती रहे। गुरु विचक्षण पदरेणु मुक्ति प्रभा श्री Jain Education InternationBrivate & Personal Usevamly.jainelibrary.org

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