Book Title: Manohar Dipshikha Author(s): Madhusmitashreeji Publisher: Vichakshan Prakashan TrustPage 10
________________ परम श्रद्धेया विदुषीवर्या श्री मुक्ति प्रभा श्री जी म.सा. ने अपना मंगल आशीर्वाद भेजकर मेरे ऊपर बहुत कृपा की है। उनकी करुणा एवं उदारता के लिए मैं ऋणी हूँ । संकलन में लघु भगिनि स्मितप्रज्ञा श्री जी का महत्त्वपूर्ण सहयोग रहा हैं। गुरुवर्या श्री जी की ४३ वीं दीक्षा पर्याय के उपलक्ष में प्रवचनों का संग्रह करने का यह सुनहरा अवसर सहज ही मुझें प्राप्त हुआ है। प्रवचन संग्रह प्रकाशन में श्रुत पिपासु उदारमना धर्मप्रेमी श्रेष्ठीवर्य स्व. श्री वंशराज जी के सुपुत्र श्री चम्पालाल जी, भँवरलाल जी, बाबूलाल जी, छगन राज जी भण्डोवरा परिवार ने अपनी चंचल लक्ष्मी का सदुपयोग करके आध्यात्म साहित्य के प्रचार में सराहनीय योगदान दिया है। इसके लिए सद्गृहस्थ साधुवाद के पात्र है आशा है कि मेरा यह प्रथम प्रयास सभी श्रुत जिज्ञासुओं के लिए रुचिकर होगा। सम्पादन में जिन शासन के विरुद्ध कुछ भी लिखा हो तो उसके लिए त्रिविध त्रिविधमिच्छामि दुक्कडम् । अहमदाबाद वि.स. २०५४ मिगसर सुदि ग्यारस (मौन एकादशी) बुधवार दिनांक १०-१२ ९७ विचक्षण मनोहर चरण रज साध्वी मधुस्मिता श्री Jain Education InternationBrivate & Personal Use Only.jainelibrary.orgPage Navigation
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