Book Title: Manav Sarjit Durghatanaono Bhog Banel Ek Vidyatirth Author(s): Shilchandrasuri Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 2
________________ 90 अनुसंधान-२७ तेमां पोताने सहाय करवा बदल प्रतिष्ठाननो तथा तेनो विद्वाननो ऋणस्वीकार करेलो. र हतु. आ ग्रन्थमा लेखके शिवाजी विषे अमुक खराब विधानो करेला, जे विषे विद्वानोए असहमती जाहेर करेली; सरकारे ते ग्रन्थ पर प्रतिबन्ध पण मूकी दीधो हतो, तो प्रकाशकोए ते पुस्तक पार्छ पण खेंची लीधुं हतुं, आम, घसातुं लखवा बदल जे पण प्रतिकार थवो घटे ते थई गयो हतो, अने प्रकरण पर पूर्णविराम क्यारनुय मूकाई गयुं हतुं. आम छतां, आ टोळांने अचानक क्रोध आवी गयो, अने पेला लेखकने आ प्रतिष्ठाने सन्दर्भो पूरा पाड्या होवाना प्रतिष्ठानना अपराधने याद करीने ते टोळांए संस्था पर हुमलो कर्यो. आ हुमलामा सामेल आशरे १५० जणाए प्रतिष्ठानने शुं अने केटलुं नुकसान पहोंचाड्युं, तेनो अंदाज, विभिन्न वृत्तपत्रोमां छपायेली नीचे संगृहीत विगतो जोतां आवी जशे : . 'गुजरात समाचार' (अमदावाद आवृत्ति, ता. ६-१-२००४) जणावे छे के "अंदाजे दोढसो जेटला लोको अलग अलग वाहनोमां बेसीने आव्या हता. तेमणे सूत्रोच्चारो करवा साथे संशोधन संस्थाना सम्पूर्ण परिसरमां तोडफोड करी हती. केटलीक दुर्लभ हस्तप्रतो सहित हजारो पुस्तकोने आगमां झींकीने नुकसान पहोंचाडवामां आव्युं हतुं- एम कहीने पोलीसे उमेर्यु के आ टोळांए अत्यन्त जूना हस्तलिखित तालपत्र, कंप्यूटरो, जेरोक्स मशीनो वगेरे जे हाथमां आव्युं तेनो भूको बोलाव्यो हतो. तेमणे फर्निचरने पण घणुं नुकसान पहोंचाड्युं हतुं." बेंगलोर-जयपुरथी प्रकाशित थता हिन्दी दैनिक 'राजस्थान पत्रिका' ना ता. २५-१-२००४ना अंकना रविवारीय परिशिष्टमां, वाणी भटनागरना लेख 'विरासत पर कहर मां जणाव्युं छे के, "संभाजी ब्रिगेड के कार्यकर्ताओंने विरासत-संरक्षण में संलग्न इस संस्था पर अपनी क्रोधाग्निका कहर ढाया । हजारो दुर्लभ पाण्डुलिपियों, प्राचीन पुस्तकों एवं ताडपत्र अभिलेखों के संग्रह से सजा अध्ययन और अनुसन्धान का यह मन्दिर अब उजाड नजर आता है ।.... तोडफोड की घटना के दौरान इन्स्टूट्यट में संरक्षित १८००० पुस्तकें और तीस हजार दुर्लभ पाण्डुलिपियां विरासत के कथित पहरेदारों Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 2 3 4 5 6