Book Title: Maisor Prachya Koshagarastha Likhit Sanskrit Granth Suchi
Author(s): M S Basavalingayya, T T Srinivasgopalachar
Publisher: Oriental Library

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Page 21
________________ xx 111 128 विषयाः. पृष्ठसंख्या. 12 ऐतरेयब्राह्मणप्रवक्तुमहिदासस्य दासीपुत्रत्वा - भ्यूहनिराकरणपूर्वकं तस्य द्विजातिप्रवरत्वसमर्थनम् .... 87-88 13 अथर्वशाखीयगोपथब्राह्मणप्रतिपाद्यसंग्रहणम् 103-104 14 ताण्ड्यब्राह्मणप्रतिपाद्यसंग्रहणम् .... 109-110 15 ताण्ड्यब्राह्मणमिति व्यपदेशे निमित्तनिरूपण __ पूर्वकं तत्पर्यायनाम्नां प्रकाशनम् 16 तैत्तिरीयब्राह्मणप्रतिपाद्यसंग्रहणम् 117-119 17 भट्टभास्करमिश्रस्य 1420 तमशकाब्दकालिक ___ त्वाभिप्रायकस्य केषांचित्पक्षस्यानुवादः .... 18 भट्टभास्करमिश्रस्य सप्रमाणप्रपञ्चनं सायणाचा त्प्रिाचीनत्वसमर्थनम् .... .... 129 19 दैवतब्राह्मणप्रतिपाद्यसंग्रहणम् .... 141 20 मन्त्रब्राह्मणप्रतिपाद्यसंग्रहणम् .... 145-146 21 मन्त्रब्राह्मणस्य उपनिषद्राह्मणत्वाभावाभिप्राय कस्य केषांचित्पक्षस्यानुवादपूर्वकं सप्रमाणं तनिराकरणम् .... .... 146, 154 22 काण्वीयशतपथब्राह्मणप्रतिपाद्यसंग्रहणपूर्वकंमा ध्यन्दिनकाण्वीययोः शतपथब्राह्मणयोर्वैलक्ष- . ण्यविमर्शः .... .... .... .... 157-158 23 षडिशब्राह्मणप्रतिपाद्यसंग्रहणम् 24 षड़िशब्राह्मणस्य भाष्यकृत्सायणाचार्यरीत्या ताण्ड्यशेषत्वेऽपि तस्य पृथब्राह्मणतया परिगणने निमित्तनिरूपणम् .... 165 25 अद्भुतब्राह्मणस्य पईिशब्राह्मणशेषत्वाभिधान पूर्वकं तस्य पृथग्ब्राह्मणत्वाभावकथनम् .... 165 164 Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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