Book Title: Maisor Prachya Koshagarastha Likhit Sanskrit Granth Suchi
Author(s): M S Basavalingayya, T T Srinivasgopalachar
Publisher: Oriental Library

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Page 25
________________ xxiv पृष्ठसंख्या पङ्किसंख्या 176 12 17 200 28 परि 208 214 व्यप्य 237 242 अशुद्धम् शुद्धम् प्रात्रीनरू प्रात्रनिरू द्वितीये द्वितीये पिपासोद विष पिपासोदकविष पार ग्राहीयत्वा ग्राहयित्वा उपीन उपनि व्याप्य तनया नतया प्रादेश प्रदेशि अङ्ग निमूले नौमूले ग्रेहत् कृतः स्मर क्रतो स्मर तो स्मर कृत स्मर श्वैत श्वेत 48 तमं निष्कृष्य निष्कृत्य गोप्यीदरूपणोव गोप्यादिरूपेणावि मत्स्र मत्सर श्रुतेः मन्त्र मन्त्री अङ्ग 243 246 11 आहेत् 251 255 256 48 263 14 27327 श्रुते धूय 277 17 290 302 31829 32926 340 341 जीपिनः जापिनः समग्रः समग्रा मादतेः मादतः क्षीयेत क्षीयेत संसारोच्छेदने परम्। संसारोच्छेदने परं संसारोच्छेदनं पर- (संसारोच्छेदनं मिति । पारमति) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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