Book Title: Mahavira Shat Kalyanaka Pooja
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Vinaysagar

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Page 31
________________ महावीर पट् कल्याक पूजा १६ ) कलश (लय-रोता कहां मूल आये.......") · महावीर जिनवर की पूजा है सुखकारी । दर्शन की बलिहारी ॥२॥ वीर विभु के षट्कल्याणक, शास्त्र सिद्ध हैं भाई । परम पवित्र परम फलदायक, जगके मङ्गलकारी ।। पूजा. १॥ शासन के महातभ गणों में, खरतरगच्छाचारी । सुखसागर भगवानसागरजी, हुये परम उपकारी ॥ पूजा. २॥ सुमतिसिन्धु मम दादागुरुर, महोपाध्याय पदधारी । तासु पट्टधर विशद यशस्त्री, शास्त्र धुरन्धर भारी ॥ पूजा. ३॥ 'कल्याणक' 'पर्थपण' 'साध्वी' व्याख्यान निर्णयकारी। भूरियर श्री जिन मणिसागर, गण के परमाधारी ।। पूजा.४॥ तत्पदरेणु महोपाध्याय, साहित्याचार्य कहाये। . श्यामास्नु विनयोदधि ने, पूजा रची मनुहारी ॥ पूजा. ५॥ हिन्द संवत्सर आठ, इन्दु दिन, पन्द्रह अगस्त मॅझारी। दो हजार द्वादस भादों की, कृष्ण त्रयोदशी सारी ।। पूजा.६॥ महासमुन्द नगर अति सुन्दर, जहें श्री शान्ति विराजे। संध चतुर्विध शासन सेवी, पर्ते जय जयकारी ॥पूजा. ७॥ MGork

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