Book Title: Mahavira Jayanti Smarika 1975
Author(s): Bhanvarlal Polyaka
Publisher: Rajasthan Jain Sabha Jaipur

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Page 18
________________ कमला बेनीवाल राज्य मन्त्री जनसम्पर्क एवं आयुर्वेद विभाग, राजस्थान, जयपुर सन्दे श अक्टूबर, 1975 प्रसन्नता है कि महावीर स्वामी के 2500वें निर्वाण महोत्सव के अवसर पर वीर निर्वाण स्मारिका का प्रकाशन किया जा रहा है । भगवान महावीर द्वारा बताये गये सत्य-अहिंसा और अपरिग्रह के मार्ग पर चलकर आज सही मायने में शान्ति प्राप्त की जा सकती है। इस सम्बन्ध में आवश्यकता इस बात की है कि महावीर स्वामी के आदर्शों को जीवन में पूरी तरह अपनाया जाए। आशा है, वीर निर्वाण स्मारिका में आम आदमी की जानकारी के लिए महावीर स्वामी के उपदेशों का विस्तृत रूप में उल्लेख किया जावेगा।. . ... .. . शुभकामनाओं सहित, (कमला बेनीवाल) BIJOY SINGH NAHAR MLA. 48, Indian Mirror Street Calcutta-13 श्रमण भगवान महावीर के 2500 निर्वाण वर्ष का उत्सव हर देश में मनाया जा रहा है। राजस्थान प्रन्तिय महोत्सव महासमिति "वीर निर्वाण स्मारिका" प्रकाशित कर रही है जानकर खुसी हुई। - आज के समस्यामय देश में, भगवान महावीर की जीवन साधना एवं वाणी का प्रचार होना अत्यन्त आवश्यक है। जैन आचरण वैज्ञानिक है। आत्मा को निर्जरा करने में --मानव जीवन शुद्ध रखने में समाज व्यवस्था सुनियंत्रित रखने में--हिंसा, शोषण, अनाचार का पर्णतया लोप करने में-महावीर का उपदेश ही कार्यकारी हो सकता है। अहिंसा, अपरिग्रह के पर्ण प्रतीक भगवान महावीर अपने जीवन साधना द्वारा यह सब प्रमाणित किया है। जैन कोई सीमित धर्म नहीं है--यह विश्वधर्म है । अनेकांत को जानने वाला सर्व धर्म पर श्रद्धा रखेगा। "णमो लोए सव्व साहूणं" का मंत्र जपने वाला, केवल जैन साधु को ही नहीं, विश्वलोक के सब साधु को नमस्कार करता है। कितना व्यापक आदर्श है। आशा है “वीर निर्वाण स्मारिका" जनता के सामने शुद्धमार्ग का प्रदर्शन करने में सफलता लाभ करेगा। इस प्रकाशनी के प्रति हमारी शुभकामना। विजयसिंह नाहर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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