Book Title: Mahavir aur unki Samajik Kranti
Author(s): Chandanmal Vaidya
Publisher: Z_Tirthankar_Mahavir_Smruti_Granth_012001.pdf

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Page 3
________________ उपदेश दे स्वयं अनुशासन वद्ध जीवन पद्धति के पालन असंतुलन तथा शोषकवृत्ति आज भी नवीन स्वरूपों में का उपदेश दिया। इसके लिये उनके सर्वाङ्गीण शिक्षा समाज के कोढ़ की तरह विद्यमान है, जिनके विरुद्ध पर बल दिया जिसके आधार पर धार्मिक सहिण्णुता की तीब्र किन्तु अहिंसक सामाजिक क्रान्ति की नितान्त स्थापना तथा आदर्श विश्व का निर्माण हो सकता हैं। आवश्यकता है। युग पुरुष महात्मा गांधी ने तीर्थंकर महावीर के विचारों को नवीन परिवेषों में स्थापित कर तीर्थंकर महावीर के सिद्धान्त और उपदेश पूर्ण वर्तमान भारत में जिस सामाजिक क्रान्ति को जन्म दिया शास्वत एवं मौलिक होने से आज भी उतने ही उप- तथा स्वाधीनतोपरान्त हमारे नवीन संविधान, में योगी हैं। जिन-सामाजिक दुर्व्यबस्थाओं ने उन्हें तत्का- वर्णित निर्देशक सिद्धान्तों ने जिसे गति दी है. उनकी लीन समाज में सामाजिक क्रान्ति को प्रेरित किया था पति के लिये तथा आदर्श समाज की स्थापना के लिये उनमें से अनेक दोष परिवर्तित परिवेषों में वर्तमान आज तीर्थंकर महावीर के सिद्धान्तों के प्रचार व प्रसार समाज में भी व्याप्त होते जा रहे हैं / आर्थिक अस- की जितनी आवश्यकता है उतनी पहले कभी नहीं थी। मानता, अस्प्रश्यता एवं भेदभाव, विद्वेष, सामाजिक A Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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