Book Title: Mahabal Malayasundari
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 6
________________ एक बात 'महाबल मलयासुन्दरी' उपन्यास जैनकथा पर आधृत है। यह गुजराती भाषा में वैद्य मोहनलाल चुनीलाल धामी द्वारा लिखा गया था और दो भागों में, विभिन्न शीर्षकों में प्रकाशित हुआ था । नमस्कार महामंत्र की आराधना से संकल्पशक्ति का विकास कौन कैसे कर सकता है, यह तथ्य इस उपन्यास में यत्रतत्र उभरकर प्रकट हुआ है। उपन्यास में नये-नये मोड़ पाठक को बांधे रखते हैं और उनमें 'आगे क्या' की जिज्ञासा उत्पन्न करते हैं। __यथार्थ और कल्पना के धागों से अनुस्यूत यह उपन्यास पढ़ने में रुचिकर और समझने में सहज-सरल होगा, इसमें सन्देह नहीं। 'बन्धन टूटे' और 'नृत्यांगना'-ये दो उपन्यास प्रकाशित होकर चचित हो चुके हैं। पहला उपन्यास चन्दनबाला से तथा दूसरा स्थूलभद्र और कोशा वेश्या से संबंधित था। यह उसी श्रृंखला का तीसरा उपन्यास है। इसकी संपूर्ण कथावस्तु मूल लेखक की है। मैंने केवल हिन्दी में रूपान्तरण किया है। ___ मैं सन् १९८३ में लाडनूं में था। मैंने चातुर्मास में रात्रि के पहले तथा दूसरे प्रहर का कुछ समय इसके रूपान्तरण के लिए निश्चित किया और कार्य की नियमितता से यह शीघ्र संपन्न हो गया। विद्वान् गुजराती उपन्यासकार ने इस उपन्यास को बहुत सहज-सरल भाषा में लिखा है। मैंने भी सहज-सरल हिन्दी में इसका रूपान्तरण प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया है। हिन्दी पाठक इससे लाभान्वित होंगे, इसी मंगल भावना के साथ। बालोतरा १० जनवरी, १९८५ - मुनि दुलहराज Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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