Book Title: Mahabal Malayasundari
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 12
________________ का जीवन भी अनुभव से गुजरेगा।' __ अंत में राजा और रानी आचार्य पद्मसागर के साथ महाबलकुमार को भेजने के लिए राजी हो गए। महाबलकुमार को साथ ले आचार्य पद्मसागर काम्यवन में आ गए। युवराज को काम्यवन में आए आज अड़तीस दिन बीत चुके थे। निर्भयतापूर्वक उसने यह समय उस वन में बिताया था। साधक पद्मसागर के प्रयोगों को नष्ट करने के लिए इन अड़तीस दिनों में तीन-चार बार मानवभक्षी राक्षस आए थे, किन्तु महाबलकुमार ने अपने पराक्रम से चार राक्षसों को मार डाला था और नौ राक्षसों को घायल कर पराजित कर दिया था। ___ आचार्य पद्मसागर युवराज के पराक्रम और धैर्य से बहुत प्रसन्न थे। युवराज की कर्तव्य-निष्ठा की छाप आचार्य के हृदय पर अंकित हो गई थी। आज अड़तीसवीं रात्रि थी। रात्रि का मध्य चल रहा था। आचार्य पद्मसागर एक अद्भुत वस्तु का निर्माण आज पूरा करने वाले थे। वे पारद से उस वस्तु की निर्मिति कर रहे थे। युवराज धनुष पर बाण चढ़ाए सतर्क खड़ा था। खुला आकाश । एक गोलाकार भट्ठी में तीव्र अग्नि भभक रही थी। अग्नि मंद न होने पाए, इसलिए निश्चित प्रकार की वनस्पतियों की लकड़ियां समयसमय पर उसमें डाली जा रही थीं। भट्ठी पर लोह का एक कड़ाह रखा हुआ था। उसमें वनस्पति का रस उबल रहा था। उससे निकलने वाला धुआं रात्रि के अन्धकार में चमचमाहट पैदा कर रहा था। तीव्र अग्नि के लाल प्रकाश के बीच सौम्यमूर्ति आचार्य पद्मसागर खड़े थे... उनकी जटा श्वेत, दाढ़ी श्वेत और शरीर नीरोग था"उनकी अवस्था अस्सी वर्ष की थी; परन्तु शरीर पर कहीं झुर्रियां नहीं दीख रही थीं. उनकी दृष्टि तेज और निर्मल थी। महाबल का ध्यान चारों ओर था 'काम्यवन का कोई भयंकर प्राणी अथवा मानवभक्षी राक्षस आश्रम में आकर प्रयोग की सिद्धि में बाधक न बने, इसलिए महाबल पूर्ण सतर्कता से चारों ओर देख रहा था। आचार्य ने भट्ठी पर पड़े कड़ाहे की ओर दृष्टि डाली, रस का पाचन हो चुका था । उन्होंने कहा--'वत्स ! अब केवल एक घटिका का कार्य और है। जो कार्य मन्त्रों से नहीं होता वह कार्य दिव्य विज्ञान से हो जाता है। अब तू ताम्रिका के रस से भरा वह स्वर्णकुंभ मेरे पास रख दे।' तत्काल युवराज ने पूर्ण सावधानी से ताम्रिका वनस्पति के रस से भरा महाबल मलयासुन्दरी ३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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