Book Title: Madhyakalin Gujarati Sahitya Pratiksha Padkar ane Samprapti
Author(s): Kantilal B Shah
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 7
________________ अनुसन्धान ४६ फुल्ल तार सिरि घल्लि रमइ ते चंदा साथइ, सूर समइ जाणेवि, फुल्ल पणि नाखइ हाथइ, इम रयणि कूड बिहुँस्यउं करइ, वेशि कहीं साची नउ हई." (२.८३) [ज्यारे सूर्य आथमे छे त्यारे रात्रि केश छूटा मूकीने रडे छे. पण जेवी जेनी वेळा अ प्रमाणे तेनी साथे मन जोडे छे. अ ज रात्रि (चन्द्र आवतां) तारा रूपी पुष्पो माथामां गूंथीने चन्द्रनी साथे क्रीडा करे छे. वळी पाछो सूर्यने आववानो समय थतां रात्रि तारक-पुष्पोने हाथथी नाखी दे छे. आम रात्रि बन्नेनी साथे कपट करे छे. अ ज रीते वेश्या पण कदी साची होती नथी.] ___आपणे त्यां 'छन्द' संज्ञावाळी लघु काव्यकृतिओ पण रचाई छे. अमां मुख्यत्वे इष्ट देव-देवीनी स्तुति, महिमागान अने रूपगुणवर्णननुं आलेखन थयुं होय छे अने ते कोई अेक सळंग छन्दमां रचायेली होय छे. आवी 'छन्द' स्वरूपी दीर्घ-लघु कृतिओना स्वरूप, विकास, विषयवस्तु अने अना छन्दोविधाननी दृष्टि सघन अभ्यासने सारो अवकाश छे. परिषदमा डो. भोगीलाल सांडेसरा स्वाध्यायपीठ अन्वये मारे कोई अेक प्रकल्प तैयार करवानो हतो. ते अनुषंगे ला. द. भारतीय संस्कृति विद्यामन्दिरमांथी मने सं. १६४१मां रचायेली, हरजी मुनिकृत 'विनोदचोत्रीसी' नामक पद्यवार्तानी प्रत मळी आवी. आ साधुकविनुं तो नाम पण कोई जवल्ले सांभळ्यु होय. मात्र 'जैन गूर्जर कविओ' अने 'साहित्यकोश'मां नानकडो उल्लेख मळे. पण कृति हती 'सिंहासन बत्रीसी' के 'सूडाबहोतेरी'नी जेम ओक कथादोरमां परोवायेली ३४ लौकिक कथाओनी वार्तामाला. अना शीर्षकमां निर्देशाया प्रमाणे आ बधी हास्य-विनोदे रसायेली जीवनबोधक कथाओ छ, ओक साधुमहात्मा ३४ दिवस सुधी रोज अकेकी कथा कहीने अक नास्तिक श्रेष्ठीपुत्रने आस्तिक बनावे छे. कथाओ मौलिक नहि, पण कवि द्वारा एने अपायेलो पद्यदेह मे कविनी सर्जकता. आपणा पद्यवार्ता-साहित्यमां हास्यरसिक कथामाला स्वरूपे आ ओक विशिष्ट उमेरण छे. साथे अ पण याद करी लउं के ताजेतरमा ज डो. रमेश शुक्ल द्वारा कवि शामळनी 'पन्दरमी विद्या' नामे स्त्रीचरित्रने निरूपती, अद्यापिपर्यन्त अप्रगट ओवी रसिक कथा उपलब्ध Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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