Book Title: Lokprakash
Author(s): Jaydarshanvijay
Publisher: Jinagna Prakashan

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Page 15
________________ 570 520 522 580 581 582 583 584 585 589 591 593 594 596 524 537 विषयः तृतीयारकवर्णनम् - कुलकर-प्रथमतीर्थेश-तद्दर्शितव्यवस्था 0 प्रथमचक्रवर्ती-तीर्थप्रवर्तनादि त्रिंशत्तमः सर्गः विंशतिस्थानकानि तत्तपोविधिसम्प्रदाय: " जिनगर्भोत्पत्तिः 9 चतुर्दशस्वप्नदर्शन-दोहदादि 0 उच्चग्रहाः, छत्रादियोगाः, दिक्कुमारिकाकल्पः - जन्मकल्याणकोत्सवः 9 आदीक्षान्तं प्रभोजीवनम् द्वाविंशतिः परिषहाः 9 ध्यानस्वरुपम् प्रभोर्ज्ञानोत्पत्तिः, समवसरणम् 9 जिनदेशनावर्णनम् 0 श्रावकाणां द्वादशव्रताः 0 अष्टप्रवचनमातरः, तीर्थस्थापना 0 शीलाङ्गानामष्टादशसहस्राणि 0 द्वादशव्रतानां भङ्गसङ्कलना समवसरणे द्वादशपर्षदा, प्रभोः प्रभाव: 0 बलिविधिनां, प्रतिहार्याष्टकं 0 चतुस्त्रिंशदतिशयाः, अष्टादशदोषाः 0 निर्वाणकल्याणकं एकत्रिंशत्तमः सर्गः चक्रवर्तिस्वरुपम् 9 चक्रवर्तिनामकर्मबन्धकारणानि षट्त्रिंशन्नृगुणाः पृष्ठः विषयः 15170 चक्ररत्नोत्पत्तिः, दिग्विजयः 5180 चक्रवर्तित्वाभिषेक: 5190 चक्र-दण्ड-खड्गरत्नवर्णनम् . छत्र-चर्मरत्नवर्णनम् । 0 मणि-काकिणीरत्नवर्णनम् सेनापतिरत्नवर्णनम् गृहपतिवार्द्धकीरत्नवर्णनम् 523 O पुरोहित-गजाश्वरत्नवर्णनम् स्त्रीरत्न-नवनिधिवर्णनम् - चक्रवर्तिशेषवर्णनम् 0 वासुदेव बलदेवस्वरुपम् 527 0 प्रतिविष्णु स्वरुपं, नव नारदाः 533 द्वात्रिंशत्तमः सर्गः 539 0 सप्तकुलकरवर्णनम् 5440 प्रथमजिनचरित्रम् 5500 अजितजिनचरित्रम् 5520 सम्भवजिन चरित्रम् 554 0 अभिनन्दनजिनचरित्रम् 5550 सुमतिजिनचरित्रम् 5590 पद्मप्रभजिनचरित्रम् 1562 0 सुपार्श्वजिनचरित्रम् 564 0 चन्द्रप्रभजिनचरित्रम् 5650 सुविधिजिनचरित्रम् 5660 शीतलजिनचरित्रम 0 श्रेयांसजिनचरित्रम् 0 श्रीवासुपूज्यजिनचरित्रम् 5680 श्रीविमलजिनचरित्रम् 568 श्रीअनंतजिनचरित्रम् 5690 श्रीधर्मजिनचरित्रम् । श्रीशांतिजिनचरित्रम् 598 600 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 xiv

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