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४८ ५१ ५२ ५२
तप्त श्रयेत्स
१६ २० २ २
तिप्त श्रयत्स श
मिदं
५२ ५५ ५६
सर्वदेहिनाम् सर्वदेहिनां शितांशुः
शीतांशुः सद वृषभं सद् वृषभं। हाटकराजतरन्त- रत्नाऽष्टापदरूप्य महोज्वलां महोज्ज्वलां
भासे
मासे
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स्वलोक पदावली यद्विलोकी सत्यवमै
६४
ख लोकपदाबली तद्विलोकी सत्यवर्त्मः
द्ध नाथचरणः मूत्ति ताऽद्धि," रमला प्रोधूतपोतय
नाथचरणे
६५१
८४
ताऽविं, उचितां प्रोद्धृत पोताय
८९
१८
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