Book Title: Laghu Kshetra Samasa athwa Jain Bhugol
Author(s): Ratnashekharsuri, Pratapvijay, Dharmvijay
Publisher: Muktikamal Jain Mohan Mala

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Page 646
________________ onrnwronmnurwann. nnounuwanna श्री लघुक्षेत्रसमासप्रकरणम् । अभितराण दुकला, सोलसहस्सडसया सबायाला । चउचत्तसहस दोसय, दसुत्तरा दस कला सवे ॥ २८ ॥ इगचउसोलसंका, पुव्वुत्तविहीइ खित्तजुअलतिगे। वित्थारं विंति तहा, चउसढेिको विदेहस्स ॥ २९ ॥ पंचसया छवीसा, छच्च कला खित्तपढमजुअलम्मि। बीए इगवीससया, पणुत्तरा पंच य कला य ॥ ३०॥ चुलसीसय इगवीसा, इक्ककला तइयगे विदेहि पुणो । तित्तीससहस छस्सय, चुलसीया तह कला चउरो ॥३१॥ पणपन्नसहस सग सय, गुणणउआ नव कला सयलवासा । गिरिखित्तंकसमासे, जोअणलक्खं हवइ पुण्णं ॥३२॥ पन्नाससुद्ध बाहिर-खित्ते दलियम्मि दुसय अडतीसा। तिण्णि य कला य एसो, खंडचउक्कस्स विक्खंभो ॥ ३३ ॥ गिरिउवरि सवेइदहा, गिरिउच्चत्ताउ दसगुणा दीहा । दीहत्तअद्धरुंदा, सबे दसजोअणुवेहा ॥ ३४ ॥ बहि पउमपुंडरीया, मज्झे ते चेव हुंति महपुवा । तेगच्छिकेसरीया, अभितरिया कमेणेसुं ॥ ३५ ॥ सिरिलच्छी हिरिबुद्धी, धीकित्ती नामिया उ देवीओ। भवणवईओ पलिओ-वमाउ वरकमलनिलयाओ ॥ ३६ ॥ जल्लुवरि कोसदुगुच्चं, दहवित्थरपणसयंसवित्थारं । बाहल्लवित्थरद्धं, कमलं देवीण मूल्लिल्लं ॥ ३७॥

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