Book Title: Laghu Kshetra Samasa athwa Jain Bhugol
Author(s): Ratnashekharsuri, Pratapvijay, Dharmvijay
Publisher: Muktikamal Jain Mohan Mala

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Page 668
________________ २६ श्री लघुक्षेत्रसमासप्रकरा. ॥ अथ पञ्चमः पुष्करवरद्वीपार्धाधिकारो भण्यते ॥ पुक्खरदलबहिजगइव्व संठिओ माणुसुत्तरो सेलो । वेलंधरगिरिमाणो, सहिनसाई निसढवन्नो ।। २४२ ।। ॥ २४३ ॥ जह खित्तनगाइणं, संठाणो धाइए तहेव दुगुणो य भद्दसालो, मेरुसुयारा तहा के इह बाहिरगयदंता, चउरो दीहात्ति वीसहसा । तेयालीससहस्सा, उणवीसहिना सया दुर्भि 11 288 11 अभितर गयदंता, सोलसलक्खा य सहसछव्वीसा । सोलहिअं सयमेगं दीहने हुति चउरो वि " ॥ २४५ ॥ सेसा पमाणओ जह, जंबूदीवाउ धाइए भणिया । दुगुणा समा य ते तह, धायइसंडाउ इह नेया ॥ २४६ ॥ अडसीलक्खा चउदस - सहसा तह नवसया य इगवीसा | अभितरघुवरासी, पुव्वत्तविहीइ गणियव्वो ॥ ॥ २४७ ॥ इगकोडीतेरलक्खा, सहसा चउचत सगसय तियाला | पुक्खरवरदीवडे, धुवरासी एस मज्झमि ॥ २४८ ॥ ।। २४९ ।। एगा कोडी अडती - सलक्ख चउहत्तरी सहस्सा य । पंचसया पणसट्टा, धुवरासी पुक्खर दंते गुणवीस सहस सगसय, चउणउ य सवाय विजयविक्खंभो । तह इह बाहवहसलिला, पविसंति य नरनगस्साहो ॥ २५० ॥

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