Book Title: Kumarpalcharitrasangraha New Publication of Shrutaratnakar
Author(s): Jinvijay
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai

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Page 415
________________ [ ३ ] तृतीयं परिशिष्टम् कुमारपालचरित्रसङ्ग्रहान्तर्गतानां देश्यपद्यानामकाराद्यनुक्रमणिका । पद्यांश: अम्हे थोडा रिउ घणा अंबडू हूंतइ वाणिअउ इक्क फुल्लह माटि इक्क फूलह माटि इह पाली माट इक्क फुल्लह माटि एक्कह पाली माटि एह न होइ धर धार काहू मनि विभंतडी कुमरपाल म चिंति कुमरड कुमरविहार एता कुमारपाल मत चिंत करि गड फुट्ट वेयण गई गया जि साजण साथि चूयहलं परिपक्कं विहलिय जड़ जिप्पड़ ता मंडलीय जंगलउरु जडहारु जगिउ धांगा दोसु न वइजल्या Jain Education International For Private & Personal Use Only पत्रम् १९१ २२७ २०५ ५८ २३४ २३८ १९ ६८ १३४ १९ २०९ १९१ ७० ६९ ६९ ६९ २३४ २४७. www.jainelibrary.org

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