Book Title: Kumarpal Ras
Author(s): Suyashchandravijay, Sujaschandravijay
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 5
________________ अनुसन्धान-५७ मंत्रीअ मोकलि देसि-विदेसि, बहु संघ मेलावई, धामी बहुआ रास दिइं, राउ यात्रा चलावइं, देस-विदेसह मिलिअ संघ, पहुतउ गूजरात, बाहुड मंत्रिअ वीनवइं ए, सुणि सामिअ वात ॥२३॥ चउरा गूडर संघ तणा, नवि लाभई पार, चालिउ (?) नरवर सुरठ भणी, मन लाइ न वार, दीधउं संघपति तीर्थ भणीय, पहिल पीआणउं, भोली बुद्धिइं आपणी ए, हुं किंपि वखाणं ॥२४।। वस्तुः बहुअ देसह बहुअ देसह संघ मेलेवि, जिणभत्तिहिं ए गमण भूमि नाह सेत्तुज्जि वच्चइ, गाइं वाइं रूलिअ भरि, संघलोअ आणंदि नच्चइ, ठामिहिं ठामि वधावीअ, हिव हुइ मंगल चारू, अरथिहिं वरिसइं मेघ जिम, दानि मानि सुविचारू ॥२५॥ सूरिराय सिरिहेमसूरि, जण धम्मधुरीणा, समणा-समणी सहस संख, मणि समरसि लीणा, मिलिआ सावय तणा लाख, धणि धनद समाणा, साचीअ वहता सीसि कमलि, गुरु-गुरुणी आणा ॥२६॥ भेरी भुंगल ढोल घणा, घमघमई नीसाणां, खेला नाचई रूलिअभरे, नव-नवा सुजाणा, धामिणि तरुणी दिई रास, किरि सग्गह आवी, महुरी वाणिइं(हिं) भणइं भास, मनरंगिहि (बहविह) आवी ॥२७॥ बंदी जय-जयकार करइं, कइ दीहर सादि, गायइं गायण सत्त सरे, केवि किन्नर सादि, चाली गयघड माल्हती ए, झरती मदवारि, खाणि खणंता तुरय लाख, करहा सई च्यारि ॥२८।। राउत-पायक-राजलोक, अनइ मागणहार, संख विवज्जिअ चलिअ लोक, कोइ जाणइ सारु, कि इह चालई भरतराय, कि सगरनरिंदो, राया संपइ दसनभद, किं कन्ह गोविंदो ॥२९॥

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