Book Title: Kumarpal Ras
Author(s): Suyashchandravijay, Sujaschandravijay
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 3
________________ अनुसन्धान-५७ वालीनाहह परहडा ए, बे पडणि पडता, छंडि न आमिष तणी आस, अच्छि वाकुल खंता, वालीनाहह दिउ ग्रास, लीहावउ वही ए, मांडे लाडू करउ भगति, अनइं ईडरीए ॥९।। पारधि जीवन पोसिउं ए, बहु पावह जोगा, पारधि खेलत दसरथह, हुउ पुत्त वियोगो, कुमारनरेसर निययराजि, आहेडउ वारई, जलचर-थलचर-खयर जीय, इह कोइ न मारइं ॥१०॥ वस्तुः पडण टालिअ पडण टालिअ जीवसंहार, सूअर संवर रोझ तिहिं फिरई जेह मणह भावइं, दहिआ तीतिर सालहिअ कच्छ मच्छ नहु मरण आवइं, छाली बोकड गाडरह कोइ न घालई घाउ, रात करइं जांमे इणिहिं, कुमरड रायह राय ॥११।। जूअ वसणि हूउ नल नरिंद, दमयंति वियोग, अडवि भमंतां बार वरिस, पांडव मनि सोग, देखी दूषण जूअ तणउ, केइ नवि खेलई सारि, जूरी नवि जूअ रमई, नवि बोलई मारि ॥१२॥ मंस वसणि सोदासि राय, पांमिअ दुह सेणीअ, दीठी नरगह तणी भूमि, नरवई पुण सेणीअ, आमिष भोअण तणइं दंडि, बत्तीस विहार, राय कराविअ कुमरपालि, जगि तिहुअणसार ॥१३।। दूषणि मदिरापान तणइं, यादवकुल नासो, कीउ दीवायणइ दुठ देवि, बारवइ विणासो, राय आदेसिइं नीच सवे, हिव मदिरा मेल्हइं, मदुवारा नवि मदु करई, मुंभलीउं खेलइं ॥१४॥ गणिकागमन निवारिउए, नरवइ निअ राजि, छंडवि वेसावसण लोग, लागा सवि काजि, वेश्या कीधी सती सरिस, तई कुमरड राय, तां पुण पूजइ जिणहमुत्ति, वंदइं गुरुपाय ॥१५।।

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