Book Title: Kulak Sangraha
Author(s): Balabhai Kakalbhai
Publisher: Balabhai Kakalbhai
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चउवीस कणयकोडी, सड्ढाण सिरोमणी जाओ॥४॥ ____अर्थः-फाशीमा चुलनीपिता श्रावकोमा शिरोममी थयो. तेने श्यामा स्त्री हती. आठ गोकुल तेमन चोवीसकोड सोनेया तेनी पासे हता. ॥ ४॥ कासीई सूरदेवो, धन्ना भन्जा य गोउला छच्च; कणयहारसकोडी, गहीयवओ सावओ जाओ॥५॥
अर्थः-काशीमा सुरदेव नामे गृहस्थ हतो तेने धन्या नामे स्त्री हती, अने छ गोकुल तथा अढारकोड सोनैया तेनी पासे हता, ते व्रत ग्रहण करी श्रावक थयो. ॥ ५॥ आलभियानयरीए, नामेणं चुल्लसयगओ सट्टो; बहुलानामेण पिया, रिद्धी से कामदेवसमा ॥६॥ अर्थ:-आलभिका नगरीमा चुल्लशतक नामे श्रावक थयो, तेने बहुला नामनी स्त्री हती अने तेनी ऋद्धि कामदेवना सरस्वी हती. कंपिल्लपट्टणंमि, सड्ढो नामेण कुंडकोलियओ;
पुस्सा पुण जस्स पिया, विहवो सिरिकामदेव सभो॥७॥ 18| अर्थः-कापिल्यपुरमा कुंडकोलिक नामे श्रावक हतो चली तेने पुष्या नामे स्त्री हती भने तेनो वैभव कामदेव श्रावकना समान हतो.७ | PIre

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