Book Title: Kshir Tarangini
Author(s): Yudhishthir Mimansak
Publisher: Ramlal Kapur Trust

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Page 438
________________ (५) ५६. धातुपाठ - धात्वादिसूची सहित, सुन्दर शुद्ध संस्करण । ३-०० ६०. क्षीरतरङ्गिणी - क्षीरस्वामीकृत । पाणिनीय धातुपाठ की सब से प्राचीन एवं प्रामाणिक व्याख्या । सजिल्द ६० -०० ६१. धातुप्रदीप - मैत्रेयरक्षित विरचित पाणिनीय चातुपाठ की व्याख्या | सजिल्द ४०-०० ६२. वामनीयं लिङ्गानुशासनम् - स्वोपज्ञ व्याख्यासहितम् । ८-०० ६३. संस्कृत पठन-पाठन की अनुभूत सरलतम विधि - लेखक - श्री पं० ब्रह्मदत्त जिज्ञासु । प्रथम भाग १० -००, द्वितीय भाग ( यु० मी० ) अप्राप्य The Tested Easiest Method of Learning and Teaching Sanskrit ( First Book ) - यह पुस्तक श्री पं० ब्रह्मदत्त जी जिज्ञासु कृत 'विना रटे संस्कृत पठन-पाठन की अनुभूत सरलतम विधि' भाग एक का अंग्रेजी अनुवाद है । अंग्रेजी भाषा के माध्यम से पाणिनीय व्याकरण में प्रवेश करने वालों के लिये यह प्राधिकारिक पुस्तक है । कागज और छपाई सुन्दर, सजिल्द २५-०० । ६५. महाभाष्य - हिन्दी व्याख्या (द्वितीय अध्याय पर्यन्त ) पं० यु० मी० । प्रथम भाग ५०-००, द्वितीय भाग अप्राप्य, तृतीय भाग २५ - ०० । ६६. उणादिकोष - ऋ० द० स० कृत व्याख्या तथा पं० यु० मी० कृत टिप्पणियों, एवं ११ सूचियों सहित । सजिल्द १२-०० ६७. दैवम् पुरुषकारवात्तिकोपेतम् - लीलाशुक मुनि कृत । ६८. लिट् श्रौर लुङ् लकार की रूप-बोधक सरलविधि - ६९. भागवृत्तिसंकलनम् - अष्टाध्यायी की प्राचीन वृत्ति १०-०० ३-०० ६-०० १५-०० ६-०० ७०. काशकृत्स्न-धातु व्याख्यानम् - संस्कृतरूपान्तर । यु०मी० ७१. काशकृत्स्न- व्याकरणम्- संपादक यु० मी० । ७२. शब्दरूपावली – विना रटे शब्दरूपों का ज्ञान कराने वाली ३-०० ७३. संस्कृत धातुकोश - पाणिनीय धातुत्रों का हिन्दी में अर्थ निर्देश । सं० युधिष्ठिर मीमांसक । 20-00 . ७४. वाक्यपदीयम्- भर्तृहरिकृत स्वोपज्ञ व्याख्या तथा वृषभदेव कृत संक्षिप्त विवरण सहित । सम्पादक - श्री पं० चारुदेव शास्त्री एम० ए० । प्रथम भाग-ब्रह्मकाण्ड अप्राप्य । द्वितीय भाग - स्वोपज्ञ व्याख्या तथा पुण्यराज कृत व्याख्या सहित । संपादक - श्री पं० चारुदेव शास्त्री | अप्राप्य

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