Book Title: Khajuraho ka Jain Puratattva
Author(s): Maruti Nandan Prasad Tiwari
Publisher: Sahu Shanti Prasad Jain Kala Sangrahalay Khajuraho

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Page 2
________________ ग्रन्थ-परिचय खजुराहो में १० वीं से १२ वीं शती ई० के मध्य चन्देल काल में प्रभूत संख्या में मन्दिरों एवं मूर्तियों का निर्माण हुआ। खजुराहो के मन्दिर अपनी स्थापत्यगत योजना एवं विशालता के लिए तथा मूर्तियां अपने अनुपम सौन्दर्य, अलंकरण और आकर्षक तीखी भावभंगिमाओं के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं। इन मन्दिरों पर मानो समकालीन जीवन ही साकार हो उठा है । खजुराहो के ब्राह्मण मन्दिरों एवं मूर्तियों पर पर्याप्त कार्य हुआ है, किन्तु जैन मन्दिरों एवं मतियों का अभी तक समुचित विस्तार से कोई सांगोपांग अध्ययन नहीं हुआ है। इस दिशा में यह पहला गम्भीर प्रयास है । लेखक ने अत्यन्त सूक्ष्मता एवं विस्तार के साथ वहाँ की पुरातात्त्विक सामग्री का तुलनात्मक अध्ययन किया है। ___ इस ग्रन्थ में खजुराहो की जैन कला की राजनीतिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि तथा जैन देवकुल के सामान्य निरूपण के साथ ही वहाँ की तीर्थंकर, यक्ष-यक्षी एवं महाविद्या मूर्तियों का विस्तृत अध्ययन किया गया है। बाहुबली, सरस्वती, नवग्रह आदि से सम्बन्धित अध्ययन भी उल्लेखनीय है । खजुराहो के नवनिर्मित साहू शान्ति प्रसाद जैन कला संग्रहालय की मूर्तियों का अध्ययन पहली बार प्रस्तुत हुआ है । परिशिष्ट में मांगलिक स्वप्नों, जैन लेखों एवं प्रतिमा-लक्षण सम्बन्धी तालिकाओं और पारिभाषिक शब्दावली के उल्लेख • ग्रन्थ को पूर्णता प्रदान करते हैं। विस्तृत सन्दर्भसूची और चित्रावली ग्रन्थ के महत्त्व में और भी वृद्धि करते हैं। प्रस्तुत ग्रन्थ जैन कला एवं प्रतिमाविज्ञान पर शोध करने वालों के साथ ही सामान्य जिज्ञासु पाठकों के लिए भी उपयोगी होगा और भविष्य में अन्य प्रमुख जैन कला केन्द्रों की पुरातात्त्विक सामग्री के विस्तृत एवं स्वतंत्र अध्ययन का मार्ग प्रशस्त करेगा। dams Education International For Private & Personal use only Waantellorainyorget

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