Book Title: Keynote Address of Dr Sagarmal Jain at Calcutta Author(s): Mahadeolal Saraogi Publisher: Mahadeolal SaraogiPage 71
________________ कैलाश जितने ऊँचे सोने और चांदी के असंख्य पर्वत भी मनुष्य की आकाश जितनी इच्छाओं को पूर्ण नहीं कर सकते। __ -भगवान महावीर मनुष्य की शक्ति और धन की ईच्छा दूसरों के लिए वेदना का कारण बनती -भगवान बुद्ध संसार के सभी लोग अन्त में छूटने वाले हैं, ऐसा समझकर, जो बुद्धिमान व्यक्ति सब विषयों से निवृत हो जाता है उसे दुःख का अणुमात्र भी अनुभव नहीं होता। विषयों को छोड़ देना ही सुख प्राप्ति का मार्ग है। -महात्मा विदुर हिंसा को तब तक नहीं मिटाया जा सकता जब तक परिग्रह के प्रति हमारी आसक्ति समाप्त नहीं होती। परिग्रह का सीमाकरण होने पर हिंसा की समस्या स्वतः समाहित हो जाएगी। -आचार्य तुलसी हिंसा का मूल स्रोत है पदार्थ के प्रति मर्छा। पदार्थ की आसक्ति जितनी गहरी होगी हिंसा उतनी ही सघन होती चली जायेगी। -युवाचार्य महाप्रज्ञ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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