Book Title: Ketlik Prakirna Laghu Rachano
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 6
________________ 100 July-2002 अधनंग्या जंघ्या पहिरण नितका वतका कलेस मेवाडे देसे भूले चूके मत करज्यो परवेस ॥२॥ जिहां नरने मुढे डाढी मोटी छोटी मोथा केश वली राखे पट्टा जट्टा मोट्टा भुंडा पेट विसेस । मुहडा पीलरीया नर विल्लरीया ओझाहीन नरेस मेवाडे देसे भूले चूके मत करज्यो परवेस ।।३।। कहिसे बरीया वली टे घडीया एहवा सहेजे बोल सो वरसासें घाहुवेआसे घाहीया फुटा ढोल । नोपजें भाषल्ला नही ते भल्ला नहि कंबल नहि खेस मेवाडे देसे भूले चूके मत करज्यो परवेस ॥४॥ जिहां नर रोगीला वली योगीला छल्ली फीया पेट नर वांता करतां करे लडाई धम्माधम्म-चपेट । पीये सब कोई भा(भां)ग तिजारा आफू-गंजा वेस मेवाडे देसे भूले चूके मत करज्यो परवेस ||५|| नवी चले गाडी वहिल न चलें रथ नवी चले एम एक पोठ्या हीडे जे धारणी खेडे पूछ मरोडे जेम । घरबारी जोगी जंगम संगम सिंगी वली दरवेस मेवाडे देसे भूले चूके नवि करज्यो परवेस ॥६॥ जिहां लगे पांणी खोय खांणी वाय चोरासी गेह माकण ने माछर छाछण ने सुरला बहूला दीसे तेह । जिनधर्मी थोडा घणा मिथ्याती माने देव महेस मेवाडे देसे भूले चूके मत करज्यो परवेस ॥७॥ माथे पागडीया बांधे जेहवी आरीसानो म्यान मोटी रुद्राछा बांदी सरिसी घाल हलावें कांन । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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