________________
' काव्यप्रकाश पर तैयार किया गया है । अतः इसकी प्रामाणिकता और शुद्धता सर्वोपरि स्थान रखने वाली मानी जानी चाहिये।
राजस्थान सरकार ने जैसलमेर के ग्रन्थभण्डार में सुरक्षित ग्रन्थरत्नों को प्रकाश में लाने के लिये जो उक्तप्रकार से विशिष्ट प्रयत्न की योजना की है उस के अनुसार, हम राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला के अन्तर्गत 'जैसलमेर ज्ञानभण्डार ग्रन्थोद्धार ग्रन्थावलि' नाम की एक पृथक् श्रेणी (सीरीझ) प्रकट करने का प्रारम्भ कर रहे हैं और उस के प्रथम अंक के रूप में यह ग्रन्थ विद्वानों के कर - कमल में विभूषित हो रहा है ।
प्रस्तुत ग्रन्थ को दो भागो में प्रकट करने की व्यवस्था की गई है जिसका यह मूलग्रन्थरूप प्रथम भाग है। दूसरा भाग भी इसी के साथ ही तैयार हो रहा है जिस में संपादक विद्वान् द्वारा बहुत परिश्रमपूर्वक मूलग्रन्थ से सम्बद्ध प्रस्तावना और परिशिष्टादि विविध सामग्री का सङ्कलन किया गया है।
विशेष आभार प्रदर्शन हम यहां पर, जैसलमेर के ज्ञानभण्डारविषयक ग्रन्थोद्धार का सुमहत् आयोजन करने के निमित्त, राजस्थानराज्य के प्रेरक माणस्वरूप वर्तमान मुख्य मंत्री महोदय श्री श्रीमोहनलालजी सुखाडिया तथा मुख्य सचिव श्री भगवन्तसिंहजी मेहता और शिक्षासचिव श्री विष्णुदत्तजी शर्मा के प्रति अपना हार्दिक आभार प्रद. र्शित करना चाहते हैं, जिनके राज्यकल्याणकारी सद्विचारों और सत्प्रयासों के परिणामस्वरूप, राजस्थान के सामाजिक एवं सांस्कारिक जीवन में नूतन उत्साह, नूतन प्रेरणा और नूतन संगठन का प्रसार हो रहा है और साथ में राजस्थान की प्राचीन संस्कृति के संरक्षण और समुद्धार के निमित्त भी राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान जैसी देश-विदेश में ख्याति प्राप्त करने वाली साहित्यिक प्रवृत्तियों का विकास भी प्रशंसनीय रूप में वृद्धि प्राप्त कर रहा है।
)
१ जनवरी, १९६० अनेकान्त विहार अहमदाबाद
- मुनि जिनविजय