Book Title: Kaushik Ek Aprasiddha Vaiyakaran
Author(s): Nilanjana Shah
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 8
________________ अनुसंधान - १७•210 'व्याख्यासुधा' नामनी टीकामां कश शब्दे परथी व्युत्पन्न करवामां आव्यो छे आ कश धातु अदादि कस (कश) गतिशासनयोः धातु करतां जुदो छे. १५. खन्भु विश्वासे । (पृ. १०८ ) स्त्रन्हु इति कौशिक:- संहते, ऊष्मान्तप्रस्तावात् । भ्वादि गणना खन्भु ने बदले सन्हु धातुनो पाठ करे छे आ धातु मात्र कवि (पृ. ५६ ) आपे छे अने तेना परनी टीका धातुदीपिकाना कर्ता दुर्गादास लखे छे : धातुरयं कैश्चिन मन्यते । सामान्य रीते मोटयभागना धातुपाठो सम्भु विश्वासे एम आ धातुनो पाठ आपे छे. कौशिकने आ बाबतमा कविना कर्ता बोपदेवनुं सबळ समर्थन मळी रहे छे. - १६. क्षजि गतिदानयोः । क्षीत. (पृ. ११२) क्षीर नोंधे छे के क्षजेति कौशिकः । आ ज प्रमाणे माधावृ. (पृ. १९२) मां पण कौशिकनो आ मत मळे छे के भ्वादि गणना आ धातुनो पाठ क्षज थवो जोईए. जो क्षजि पाठ करीए तो इदितो नुम् धातोः । (पा. ७. १. ५८ ) सूत्रथी क्षञ्जते वर्तमानकाळनुं रूप थाय अने जो क्षज करीए तो क्षजते एम रूप थाय. बोपदेव कवि. (पृ. १८) मां क्षजि क्षज बंने आपे छे. कौशिके भाषा के साहित्यमां क्षजते वगैरे एवां आ धातुनां रूपो जोयां हशे, तेथी तेओ आ सूचन करे छे. १७. दाशृ दाने । क्षीत. (पृ. १३२) - दायू दान इति कौशिकः । भ्वादि गणना आ धातुनो पाठ दाशृ नहीं पण दाय थवो जोईए एम कौशिक माने छे. दाशृ होय तो वर्तमानकाळनुं रूप दाशते थाय छे अने दाय होय तो दायते थाय छे. माधावृमां कौशिकना आ मतनो उल्लेख नथी. मात्र बोपदेवना कवि (पृ. ४२ ) मां दायृञ् दाने एम मळे छे. १८. शिजि अव्यक्ते शब्दे । क्षीत. (पृ. १७९) शिजि पिजि इति कौशिकः । पिंक्ते पिञ्जरः । कौशिक अव्यक्त शब्दना अर्थ दर्शावता धातु तरीके अदादिगणना आ शिजि उपरांत पिजिने पण आ धातुपाठमां गणाववा इच्छे छे. माधावृ (पृ. ३३५) मां सायण नोंधे छे अयं पिजिश्च द्वावव्यक्ते शब्दे' इति काश्यपः । आम काश्यपनो मत पण कौशिक जेवो ज छे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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