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: १४ : रेन
मार विशन: ।
आज तक पूर्ण रुपसे झूठी साबित नहि कर बह यह है कि साधु संप्रदाय जिसने अपना सका है, कई एक बाते. धीरे धीरे सत्य सिद्ध जीवन अपनी आत्मा की, जैन धर्म की और होती जा रही है, अतः जैनधर्म पूर्ण वैज्ञानिक जैन समाजकी उन्नति के लिए समर्पित कर है, यह कहा जा सकता है!
दिया है, जैन धर्म का वैज्ञानिक रुपसे अध्ययन - . अतः जैन धर्म का विकास तथा प्रसार और करने में लग जाय ! हर एक साधु के लिए प्रचार करने के लिए हमें जैन धर्म का वैज्ञा- यह जरुरी हो जाय कि वह दिन भरमें १०निक अध्ययन कर जरुरी है !
२० श्लोक पढे, याद करे, कुछ पुस्तके पढे, जैन धर्म में सुदर गुण है. जिनका में कुछ पुस्तक लेखन करे तथा जैन धर्म के अंदर उपर वर्णन कर आया हूं, उसका विकास तथा
रही हुई सब गूढ बातोंका पूर्ण अध्ययन करे! प्रचार करने के लिए वैज्ञानिक दृष्टि तथा वैज्ञा- जब इतना अध्ययन साधु करेगा तो वह निक संशोधन की जरुरत है ! आज जहां संसा- धर्म की हरेक बातसे पूर्ण जानकार होगा! रमें धर्म को अफीम माना जाता है, धम की आजकल साधुओं में से कई.क-साधुसंप्रदाय बातों को ढकोसला माना जाता है, धर्म की के प्रति संपूर्ण आदर की भावना के साथ कहना बातों को बेकार समझा जाता है, जहां लोग पडता हैं-बहुत ही कम पढे होते हैं, व्यावहाआते जन्म में मिलने वाले फलको केवल बच्चों रिक ज्ञान कईयोंका बिलकुल कम होता है और को फुसलानेकी बात मानते है, वहां केवल धर्म का अध्ययन भी अधिकतर नहींवत् ही वैज्ञानिक ढंगसे संशोधित और विज्ञान सम्मत होता हैं ! तथा वैज्ञानिक रुप में रखा हुआ धर्म ही लोगो अतः साधु संप्रदाय भी अध्ययन करे! साथ को मान्य हो सकता हैं !
ही श्रावक जन भी धर्म का हमेश कुछ अध्ययन ___ आज कल संसार में सर्वत्र विज्ञान का करे! जब जैसा होगा तब हम धर्म की भीतरी राज्य है, उसी विज्ञान को हम धर्म का सेवक बातोंका ज्ञान हासिल करेंगे, उसके रहस्य बना सकते हैं और धर्म की उन्नति के लिए टूटेंगे और उससे हमें लाभ होगा! उसका उपयोग कर सकते है, लेकिन उसके . आशा है जैन समाजमें इस बातको ले लिए हमें हमारे धर्म का पुनः अध्ययन करना कर इस और कुछ प्रवृत्ति होगी और हम धीरे पडेगा!
धीरे विकासोन्मुख बनेंगे, हमारा धर्म भी इसके लिए मैं यहां पुनः मेरी पूर्व सूचित अध्ययनसे तथा वैज्ञानिकता के कारण दृढ बनेगा प्रणालीका उल्लेख किये बिना नहीं रह सकता! और हमारा समाज भी अधिक सुदृढ बनेगा!
આગામી અંકર્થી શરૂ થનાર છે. સિદ્ધહસ્ત લેખકની અદભુત શૈલીવાલી તેજસ્વી કલમે આલેખાયેલી ઐતિહાસિક વાર્તા કલ્યાણના આગામી અંકથી શરૂ થશે
મહાગુજરાતના સુપ્રસિધ્ધ વાર્તાલેખક, સિતાલ, બંધન તૂટ્યાં, રૂપકેશા, મગધે. શ્વરી, ઈત્યાદિ હજાર પાનાઓની એતિહાસિક રસપ્રદ અદ્દભુત કથાના લેખક, વૈદ્યરાજ ભાઈ શ્રીયુત મેહનલાલ ચુનીલાલ ધામી “કલ્યાણ માસિક માટે ખાસ ઐતિહાસિક રસ ભરપૂર વાર્તા આગામી અંકથી શરૂ કરે છે.