Book Title: Kalpsutram
Author(s): Bhadrabahuswami, Lakshmivallabh Upadhyay
Publisher: Nirnaysagar Press
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अथ श्रीप्रशस्तिः कल्पसूत्र कल्पद्रुम कलिकाप्रशस्ति: // 286 // श्रीमजिनादिकुशलः कुशलस्य कर्ता / गच्छे बृहत्खरतरे गुरुराइ बभूव // शिष्यश्च तस्य सकलागमतत्त्व दी। श्रीपाठकः कविवरो विनयप्रभोऽभूत् // 1 // विजयतिलकनामा पाठकस्तस्य शिष्यो भुवनविदितकी तिर्वाचकः क्षेमकीर्तिः॥ प्रचुरविहितशिष्यः प्रसूता तस्य शाखा / सकलजगति जाता क्षेमधारी ततोऽसौ // N२॥पाठको च तपोरन-तेजरेजी ततो वरी॥ भुवनादिमकीर्तिश्च / वाचको विशदप्रभः // 3 // सदाचको भवदशेषगुणाम्बुराशिः। हर्षाजिकुञ्जरगणिगुरुतान्वितश्च // श्रीलब्धिमण्डनगणिर्वरवाचकश्च / सहोधसान्द्रहृदयः सुहृदां वरेण्यः॥४॥ लक्ष्मीकीर्तिः पाठकः पुण्यमूर्ति आँखत्कीर्तिभूरिभाग्योदयश्रीः // शिष्यो लक्ष्मीवल्लभस्तस्य रम्यां / वृत्तिं चक्रे कल्पसूत्रस्य माम् // 5 // // इति श्रीलक्ष्मीवल्लभोपाध्यायविरचितायां श्रीकल्पसिद्धान्तस्य कल्पद्रुमकलिकाख्यव्याख्यायां नवम व्याख्यानं संपूर्णम् // Printed by Ramohandra Yesu Shedge, at the Nirosya-sagar' Prese 23, Kolbhat Lane, Bombay. // 286 // - - Published by Velji Shivji Danabandar, Mandvi, 45 Clive road, Bombay For Private and Personal Use Only

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