Book Title: Kalpasutra Lekhan Prashasti Author(s): Vinaysagar Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 6
________________ २२ अनुसन्धान ४७ विरक्ति कारण गीत, मुनिमेरु । कलमसंयमोपाध्याय, भाषा--राजस्थानी, स्तवन, गा.-७, आदि-पुनिम रजनी करु कपमाला, अ. मुनिभुवनचन्द्रजी, प्रतिलिपि विनय आदिनाथ गीत, मुनिमेरु । कलमसंयमोपाध्याय, भाषा-राजस्थानी, स्तवन, गा.-२, आदि-सकल मंगल कारणऊ रे, अ. मुनिभुवनचन्द्रजी, प्रतिलिपि विनय जीरावला पार्श्वनाथ गीत, मुनिमेरु । कलमसंयमोपाध्याय, भाषा-राजस्थानी, स्तवन, स्तवन, गा.-२, आदि-पहिरिवा खिणु चिरु चंदणु, अ. मुनिभुवनचन्द्रजी, प्रतिलिपि विनय पार्श्वनाथ गीत, मुनिमेरु । कमलसंयमोपाध्याय, भाषा .. राजस्थानी, स्तवन, गा.-२, आदि सखी से रहमुच्छले कवणु, अ. 'मुनिभुवनचन्द्रजी, प्रतिलिपि विनय. नेमिनाथ गीत, मुनिमेरु । कमलसंयमोपाध्याय, भाषा - राजस्थानी, स्तवन, गा.-२, आदि-पमुय देखी नेमी रथ नेमी, अ. मुनिभुवनचन्द्रजी, प्रतिलिपि विनय. अजितनाथ गीत, मुनिमेरु । कमलसंयमोपाध्याय, भाषा - राजस्थानी, स्तवन, गा.-२, आदि-हितु अहितु विवेक विचारी लई, अ. मुनिभुवनचन्द्रजी, प्रतिलिपि विनय. वाराणसी पार्श्वनाथ गीत, मुनिमेरु । कमलसंयमोपाध्याय, भाषा - राजस्थानी, स्तवन, गा.-२, आदि-अम्ह ची शरीरी सोगुण नही रिजवी, अ. मुनिभुवनचन्द्रजी, प्रतिलिपि विनय. १०. जिनचन्द्रसूरि गीत, मुनिमेरु / कमलसंयमोपाध्याय, भाषा - राजस्थानी, स्तवन, गा.-२, आदि-चेतना रूपु आतमा विचारी, अ. मुनिभुवनचन्द्रजी, प्रतिलिपि विनय, लेखन प्रशस्ति का विवरण : तीन पत्र हैं । साइज १० x ४ है । पंक्ति लगभग ८-९ है । अक्षर २८ से ३० है और स्वर्णाक्षरों में लिखित है । यह प्रति कहाँ है मुझे स्वयं a.. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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