Book Title: Kailashsagarsuriji Jivanyatra
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 16
________________ मूर्तिपूजा को प्रमाणित करती इस पुस्तक को काशीराम ने तीन दिन तक अपने घर में रखी । जिससे मुनिश्री ने काशीरान से पूछा कि 'क्या इन दिनों तुम्हें पुस्तक पढ़ने का समय नहीं मिलता ? 3 किसी भी पुस्तक को एक ही दिन में पढ़कर लौटा देने वाला व्यक्ति जब तीन दिन तक एक पुस्तक को पढ़कर पूरा न कर सके तो किसी को भी आश्चर्य होना स्वाभाविक है । परन्तु वास्तविकता कुछ और ही थी । उस पुस्तक को तो काशीराम ने एक ही दिन में पढ़ ली थी, किन्तु मूर्तिपूजा शास्त्रसिद्ध सत्य है - यह जानकर वे चौंक उठे, उन्हें आश्चर्य हुआ। किसी भी हालत में उनका मन यह मानने को तैयार नहीं था । उन्होंने उस पुस्तक को लगातार सात बार पड़ी, पर उन्हें मनः संतोष नहीं हुआ । अन्ततः काशीराम ने इस सम्बन्ध में मुनिश्री से ही पूछा । मुनिश्री ने पहले तो कुछ तर्क दिये, कुछ उलटासीधा मनशाने की कोशिश की, पर काशीराम के तर्क और प्रश्नों के सामने मुनिश्री की एक न चली । आखिर उन्होंने यह देखकर कि इस पढ़े लिखे शिक्षित युवक को बेवकूफ बनाना सम्भव न होगा, काशीराम से कहा कि 'हाँ ! मूर्तिपूजा शास्त्र सम्मत ही है ।' मुनिश्री की बात सुनते ही कार्य राम के हृदय को एक गहरी चोट सी लगी, उन्होंने मुनिश्री से तुरन्त दूसरा प्रश्न मूर्तिपूजा का खंडन क्यों करते हैं ? स्वीकार नहीं करते किया 2 १५ " तो फिर आप किसलिए, सत्य को

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