Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 27
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
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४८०
संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-१ औपदेशिक पदादि संग्रह-चोरीत्याग, भिन्न भिन्न कर्तृक, पुहि.,प्रा., गा. १०, पद्य, श्वे., (तीजो पाप अदत चोरि न लेवे),
१२०४०८-६१(+) औपदेशिक श्लोक संग्रह, सं., श्लो. २, पद्य, मूपू., (अहो जंबुक निर्बुद्धि), १२१४८९-३(+) औपदेशिक श्लोक संग्रह, पुहि.,प्रा.,मा.गु.,सं., श्लो. ६१, पद्य, श्वे., (धर्मे रागः श्रुतौ चिंता), १२०४०८-२४(+), १२२०९१-२(+),
१२२१३७-२(+), १२०५८८-३, १२०६७३-२, १२२१९०-२, १२२९१२-४(#), १२३२०३(#$) (२) औपदेशिक श्लोक संग्रह-बालावबोध*, मा.गु., गद्य, मप., (अर्हत भगवंत सर्ण), १२३२०३(#$) औपदेशिक श्लोक संग्रह, प्रा.,सं., श्लो. २६९, पद्य, जै., वै., (महतामपि दानानां कालेन), १२३२०४(#) औपदेशिक सवैया संग्रह , मु. भिन्न भिन्न कर्तृक, पुहि.,मा.गु.,सं., सवै. २५, पद्य, जै., वै.?, (पांडव पांचेही सूरहरि),
१२०४०८-११२(+), १२०४०८-१३७(+), १२१०५८-७(+#) औपपातिकसूत्र, प्रा., सू. ४३, ग्रं. १६००, पद्य, म्पू., (तेणं कालेणं० चंपा०), १२०९०७(+), १२३१५८(+#) (२) औपपातिकसूत्र-टीका, आ. अभयदेवसूरि, सं., ग्रं. ३१२५, गद्य, मूपू., (श्रीवर्द्धमानमानम्य), १२३४४१(+) (२) औपपातिकसूत्र-टबार्थ, आ. पार्श्वचंद्रसूरि, मा.गु., गद्य, मूपू., (वंदित्वा श्रीजिनं), १२०९०७(+), १२३१५८(+#)
औषधवैद्यक संग्रह, पुहि.,प्रा.,मा.गु.,सं., गद्य, इतर, (अनार दाणा टां.८०), १२२५३९-२(2) कथा संग्रह, प्रा.,मा.गु.,सं., प+ग., म्पू., (हिवे छ आरानुं नाम), १२०४०८-१९६(+$), १२२०५७(+$) कथा संग्रह, सं., पद्य, मपू., (--), १२३६६७(+$), १२२६९३(#$) कर्मविपाक नव्य कर्मग्रंथ-१, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., गा. ६१, वि. १३वी-१४वी, पद्य, मूपू., (सिरिवीरजिणं वंदिय), १२११५७-१(+),
१२२६८४(+$), १२२७१४-१(+#), १२२७८८-१(+$), १२२९७०-१(+), १२३११८-१(+), १२३४५२-१(+#), १२३४५४(+s),
१२३५९३-१(+$), १२३६०४-१(+), १२२७४४-१, १२१३५१(#S), १२२७२९-१(#$), १२१५६६(६) (२) कर्मविपाक नव्य कर्मग्रंथ-१-स्वोपज्ञ सुबोधा टीका, आ. देवेंद्रसूरि, सं., ग्रं. १८८२, गद्य, मूपू., (दिनेशवद्ध्यानवरप्रतापै),
१२२७३५-१(+#$), १२३४५४(+$) (२) कर्मविपाक नव्य कर्मग्रंथ-१-अवचूरि, सं., गद्य, मूपू., (श्रियाष्टप्रतिहार्य रूपाय), १२११५७-१(+) (२) कर्मविपाक नव्य कर्मग्रंथ १-बालावबोध, उपा. जयसोम, मा.गु., गद्य, मूपू., (ऍदवीयकलाशौक्लीं), १२३६०४-१(+) (२) कर्मविपाक नव्य कर्मग्रंथ-१-बालावबोध, मा.गु., गद्य, मपू., (ज्ञान अतिसय प्रातिहा), १२३४५२-१(+#), १२१३५१(#$) (२) कर्मविपाक नव्य कर्मग्रंथ-१-बालावबोध, मा.गु., गद्य, मप., (श्रीवर्द्धमान प्रति), १२२७२९-१(#$) (२) कर्मविपाक नव्य कर्मग्रंथ १-टबार्थ, उपा. जयसोम, मा.गु., गद्य, मप., (एहवा श्रीमहावीर चोत), १२३६०४-१(+) (२) कर्मविपाक नव्य कर्मग्रंथ-१-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मपू., (श्रीवीरजिन वांदी), १२२९७०-१(+) (२) कर्मविपाक नव्य कर्मग्रंथ-टबार्थ, मु. धनविजय, मा.गु., वि. १७वी, गद्य, मूपू., (शारदां वरदां स्मृत्वा), १२२७४४-१ कर्मस्तव नव्य कर्मग्रंथ-२, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., गा. ३४, वि. १३वी-१४वी, पद्य, मपू., (तह थुणिमो वीरजिणं), १२११५७-२(+),
१२२७१४-२(+#), १२२७३५-२(+#$), १२२७८८-२(+$), १२२९७०-२(+), १२३०५०-१(+$), १२३११८-२(+),
१२३४५२-२(+#), १२३५९३-२(+), १२३६०४-२(+), १२२७४४-२, १२१७८८(#$), १२२७२९-२(#) (२) कर्मस्तव नव्य कर्मग्रंथ-२-स्वोपज्ञ सुखबोधा टीका, आ. देवेंद्रसूरि, सं., गद्य, प., (बंधोदयोदीरणसत्पदस्थं),
१२२७३५-२(+#s) (२) कर्मस्तव नव्य कर्मग्रंथ-२-अवचूरि, सं., गद्य, मूपू., (तथा वीरजिनं स्तुम), १२११५७-२(+) (२) कर्मस्तव नव्य कर्मग्रंथ २-बालावबोध, मु. जयसोम, मा.गु., गद्य, मूप., (ॐ नमस्त्रिजगत्सृष्ट), १२३६०४-२(+) (२) कर्मस्तव नव्य कर्मग्रंथ-२-बालावबोध, मा.गु., गद्य, मप., (तिम श्रीमहावीर प्रति), १२३४५२-२(+#), १२१७८८(#s),
१२२७२९-२(#) (२) कर्मस्तव नव्य कर्मग्रंथ २-टबार्थ, उपा. जयसोम, मा.गु., गद्य, मपू., (तेम स्तवीस श्रीवीरजिन), १२३६०४-२(+) (२) कर्मस्तव नव्य कर्मग्रंथ २-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूप., (तह क० तिम हवे बिजा), १२२९७०-२(+) (२) कर्मस्तव नव्य कर्मग्रंथ-२-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मपू., (बंध ते स्यु कहीयइ), १२१७८८(#$) (२) कर्मस्तव नव्य कर्मग्रंथ-टबार्थ, मु. धनविजय, मा.गु., गद्य, मूपू., (तिम हुं स्तवं छु), १२३०५०-१(+$), १२२७४४-२
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