Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 27
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 624
________________ (* सुकृत के सहभागी * ) हस्तप्रत सूचीकरण में 9 से 27 भाग के आर्थिक सहयोगियों की नामावली 1. रमेशकुमार चोथमलजी, तारादेवी रमेशकुमार : सन्स नोवी, हाल शिवगंज 2. श्री जैन श्वेतांबर नाकोडा पार्श्वनाथ तीर्थ सोमाणनाथ तीर्थ मेवानगर 3. घाणेराव (राजस्थान) निवासी श्रीमती मोहिनीबाई एस. देवराजजी जैन चेन्नई 4. श्री जैन श्वेताम्बर नाकोडा पार्श्वनाथ तीर्थ मेवानगर 5. मांडवला (राज.) निवासी संघवी मुथा ___मोहनलालजी रघुनाथमलजी सोनवाडीया परिवार चेन्नई 6. श्री जैन श्वेताम्बर नाकोडा पार्श्वनाथ तीर्थ मेवानगर 7. श्री जैन श्वेताम्बर नाकोडा पार्श्वनाथ तीर्थ मेवानगर 8. श्री जैन श्वेताम्बर नाकोडा पार्श्वनाथ तीर्थ मेवानगर 9. शेठ श्री आणंदजी कल्याणजी पेढी अहमदाबाद 10. श्री भवानीपुर मूर्तिपूजक जैन श्वेताम्बर संघ कोलकाता 11. श्रीमती तारादेवी हरखचंदजी कांकरिया परिवार कोलकाता 12. श्री सांताक्रुज जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ मुंबई 13. डॉ. विनय के. जैन - प्रेसीडेन्ट (जीवदया फाउन्डेशन) यु.एस.ए. 14. डॉ. विनय के. जैन - प्रेसीडेन्ट (जीवदया फाउन्डेशन) / यु.एस.ए. | 15. शेठ श्री संवेगभाई लालभाई परिवार अहमदाबाद 16. श्री विजय देवसूर संघ श्री गोडीजी महाराज जैन टेम्पल एन्ड चेरीटीज, पायधुनी मुंबई 17. श्री जैन श्वेताम्बर नाकोडा पार्श्वनाथ तीर्थ मेवानगर 18. शेठ श्री संवेगभाई लालभाई परिवार अहमदाबाद 19. श्रीमती छगनकंवर अमृतलालजी गांधी परिवार सिरोही-जोधपुर 20. शेठ श्री संवेगभाई लालभाई परिवार अहमदाबाद 21. शेठ श्री देवीचंद, विकासकुमार, अनिलकुमार चोपड़ा परिवार (बच्छराज डेवलपर्स) मुंबई 22. शेठ श्री संवेगभाई लालभाई परिवार अहमदाबाद 23. शेठ श्री सोहनराजजी बच्छराजजी सिंघवी परिवार कोलकाता 24. श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ बावन जिनालय तीर्थ पेढी, भायंदर, मुंबई 25. शेठ श्री नरेन्द्र लालचंदजी महेता परिवार देसुरी (राज.) हाल मीरा, भायंदर, 26. स्व. शेठ श्री कन्हैयालालजी चपलोत परिवार ह. पारस कन्हैयालालजी चपलोत, मीरा रोड़, मुंबई | 27. शेठ श्री संवेगभाई लालभाई परिवार अहमदाबाद मुंबई *सादरसमर्पण* कल्याणस्वरूप तीर्थंकरों द्वारा स्थापित श्रमणप्रधान चतुर्विध श्रीसंघ के करकमलों में... जिनके द्वारा यह श्रुतपरंपरा अक्षुण्ण रही. 0 0 0 VIII

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