Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 22
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 16
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥श्री महावीराय नमः॥ ॥श्री बुद्धि-कीर्ति-कैलास-सुबोध-मनोहर-कल्याण-पद्मसागरसूरि सद्गुरुभ्यो नमः॥ कैलास श्रुतसागर ग्रंथसूची हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.२२ ८९३२१ (4) मृगापुत्र सज्झाय, संपूर्ण, वि. १७वी, मध्यम, पृ. १, प्र.वि. मूल पाठ का अंश खंडित है, जैदे., (२५.५४११, ११४४२). मृगापुत्र सज्झाय, मा.गु., पद्य, आदि: सुग्रीवनगर सुहामणो जी; अंति: समइ जी मृगापुत्र संवद्ध, गाथा-१९. ८९३२२. स्तति संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. ७, जैदे., (२५४११, १७४४६). १. पे. नाम. आदिजिन स्तुति, पृ. १अ, संपूर्ण. सं., पद्य, आदि: युगादिपुरुषंद्राय युगादि; अंति: कूष्मांडी कमलेक्षणा, श्लोक-४. २.पे. नाम. आदिजिन स्तुति, पृ. १अ, संपूर्ण. सं., पद्य, आदि: ऋषभनाथ भुनाथनिभानने; अंति: प्रसृतमोहतमोहननक्षमः, श्लोक-४. ३. पे. नाम. महावीरजिन स्तुति, पृ. १अ, संपूर्ण. सं., पद्य, आदि: यदहिनमनादेव देहिन; अंति: जनानवतु नित्यममंगलेभ्यः, श्लोक-४. ४. पे. नाम, अष्टमीतिथिपर्व स्तति, पृ. १अ, संपूर्ण. मा.गु., पद्य, आदि: महामंगलं अष्ट सोहै; अंति: ते संति कल्याणदाता, गाथा-४. ५. पे. नाम. २४ जिन स्तुति, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. अप., पद्य, आदि: भरहेसरकारिय देव हरे; अंति: तु अणंतदहंसगुणा, गाथा-२. ६. पे. नाम. साधारणजिन स्तुति, पृ. १आ, संपूर्ण. आ. सोमतिलकसरि, सं., पद्य, आदि: श्रीतीर्थराजः पदपद्मसेवा; अंति: प्रभावदाता ददतां शिवं वः, श्लोक-१. ७. पे. नाम, अष्टमीतिथिपर्व स्तुति, पृ. १आ, संपूर्ण. मा.गु., पद्य, आदि: अष्टमी अष्ट परमाद; अंति: सर्व विघ्न दरे हरई, गाथा-४. ८९३२३. (+) सिद्धाचल स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १,प्र.वि. संशोधित., जैदे., (२५४११, १२४३९). शत्रुजयतीर्थ स्तवन, उपा. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पंखिडा सेजि सदा; अंति: भणइं पद्मराय उवझाय, गाथा-११. ८९३२४. (+#) विविध बोल संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. ५, प्र.वि. संशोधित. मूल पाठ का अंश खंडित है, जैदे., (२५४११, २२४५८-६०). १.पे. नाम, महाव्रत ५नी पंचपंच भावना, पृ. १अ, संपूर्ण. २५ भावना विवरण-५ महाव्रत, मा.गु., गद्य, आदि: पहिला व्रतनी भावना ५ ईर्य; अंति: भावना २५ जाणिवी. २. पे. नाम. ६ भांगा विचार, पृ. १अ, संपूर्ण. ६ भांगा-क्रियानिर्जरा, मा.गु., गद्य, आदि: एक जीवनइ क्रिया लागइ; अंतिः अभव्य जीव जाणिवा. ३. पे. नाम. योनि विचार-पन्नवणा मध्ये चउवीसदंडक आश्री, पृ. १आ, संपूर्ण. प्रज्ञापनासूत्र-योनि विचार चोवीसदंडक आधारित, संबद्ध, प्रा.,मा.गु., गद्य, आदि: चउवीसदंडक आश्री निरत; अंति: वैमानिक कन्हइ लाभइ. ४. पे. नाम. १२ योनि नाम, पृ. १आ, संपूर्ण. ___मा.गु., गद्य, आदि: सीत जोणी१ उसणा जोणी२; अंति: १२ अधम्मठा जोणी. ५.पे. नाम. षड्द्रव्य विचार सह अर्थ, पृ.१आ, संपूर्ण. नवतत्त्व प्रकरण-हिस्सा ६ द्रव्यपरिमाणविचार गाथा, प्रा., पद्य, आदि: परणामी १ जीव २; अंति: आयासो सव्व गय तेउ, गाथा-३. For Private and Personal Use Only

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