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अनुक्रमणिका
मंगलकामना समर्पण .. समपण ...................................... प्रकाशकीय ...
.................................॥
प्राक्क थन ..........
.................IV अनुक्रमणिका.
............। प्रस्तुत सूची में प्रयुक्त संक्षेप व संकेत
..........vi-vii हस्तप्रत सूचीकरण सहयोग सौजन्य.
.........vili हस्तप्रत सूची..
.......१-४८९ परिशिष्ट : कृति परिवार अनुसार प्रत-पेटाकृति अनुक्रम संख्या....................... ४९०-५९६ १. संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट - १ .....
.............४९०-५१९ २. देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट - २....
...............५२०-५९६
इस सूचीपत्र में हस्तप्रत, कृति व विद्वान/व्यक्ति संबंधी जितनी भी सूचनाएँ समाविष्ट की गई हैं, उन सबका विस्तृत विवरण व टाइप सेटिंग संबंधी सूचनाएँ भाग ७ के पृष्ठ vi एवं परिशिष्ट परिचय संबंधी सूचनाएँ भाग ७ के पृष्ठ ४५४ पर है. कृपया वहाँ पर देख लें.
प्रस्तुत खंड १० में निम्नलिखित संख्या में सूचनाओं का संग्रह है. 0 प्रत क्रमांक - ३९०५१ से ४३४६० ० इस सूचीपत्र में मात्र जैन कृतियों वाली प्रतों का ही समावेश किए जाने के कारण वास्तविक रूप से ३४९०
प्रतों की सूचनाओं का समावेश इस खंड में हुआ है. ० समाविष्ट प्रतों में कुल ३४४२ कृति परिवारों का समावेश हुआ है. ० इन परिवारों की कुल ३७२१ कृतियों का इस सूची में समावेश हुआ है. ० सूची में उपरोक्त कृतियाँ कुल ६१२६ बार आई हैं.
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