Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 09
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.९
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॥ श्री महावीराय नमः ॥
॥ श्री बुद्धि-कीर्ति - कैलास - सुबोध - मनोहर - कल्याण- पद्मसागरसूरि सद्गुरुभ्यो नमः ॥ कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.९
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३४४५१. (+) शत्रुंजय स्तुति संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी मध्यम, पू. १, कुल पे. २. प्र. वि. संशोधित, जैवे (२३४११.५, १०४३२). १. पे. नाम. शत्रुंजय स्तुति, पृ. १अ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तुति - शत्रुंजयमंडन, सं., पद्य, आदि: शैले शत्रुंजयाख्ये; अंतिः कृतांकूरमूरं जगत्यां श्लोक-३.
२. पे. नाम. शत्रुंजय स्तुति, पृ. १अ -१आ, संपूर्ण.
शत्रुंजयतीर्थ स्तुति, सं., पद्य, आदि आनंदानप्रकप्रस्त्रि, अंतिः ज्ञेयवस्तुप्रदीपः श्लोक-३.
३४४५२. नवग्रहशांति विधि व गौतमस्वामी मंत्र, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२२.५X११.५, १०x३७). १. पे. नाम. नवग्रहशांति विधि, प्र. १२-१आ. संपूर्ण.
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मा.गु. सं., गद्य, आदि: श्रीसूर्यस्य पद्म, अंति: १०८ इति केतुशांति.
२. पे. नाम. गौतमस्वामी मंत्र, पृ. १आ, संपूर्ण.
प्रा. सं., गद्य, आदि अरिहो भगवओ गोयमस्स, अंतिः कुरु कुरु स्वाहा.
३४४५३. (+) पार्श्वनाथजिन कल्याणमंदिर स्तोत्र व चैत्यवंदन, संपूर्ण, वि. १८१४, पौष शुक्ल २, मध्यम, पृ. ४, कुल पे. २, पठ. श्राव. गोवो भावचारित्री, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. पदच्छेद सूचक लकीरें, जैदे. (२३४१०.५, १२४३१-३४). १. पे नाम. कल्याणमंदिर स्तोत्र प्र. ९अ-४आ, संपूर्ण,
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आ. सिद्धसेनदिवाकरसूरि सं., पद्य वि. १वी, आदि: कल्याणमंदिरमुदार, अंतिः कुमुदचं० प्रपद्यते श्लोक-४४. २. पे नाम, पार्श्वनाथ स्तोत्र, पृ. ४आ, संपूर्ण
पार्श्वजिन चैत्यवंदन, सं., पद्य, आदिः ॐ नमो पार्श्वनाथाय अंतिः पूरि मे वांछितं नाथ, लोक-५,
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३४४५४. (+) चतुर्विंशतिजिन स्तोत्र, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, प्रले. मु. सोमजी ऋषि, पठ. सा. जीवी, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. संशोधित, जैदे., (२०.५X११.५, १०x२४).
२४ जिन स्तोत्र- पंचषष्टियंत्रगर्भित, मु. सुखनिधान, सं., पद्य, आदि आदौ नेमिजिनं नौमि अंतिः मोक्षलक्ष्मीनिवासम्,
श्लोक- ८.
३४४५५. सनत्कुमार प्रबंध व साधुगुण पद, संपूर्ण वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १. कुल पे. २, जैवे. (२२४११, ११४३२). १. पे. नाम. सनत्कुमार प्रबंध, पृ. १अ १आ, संपूर्ण
सनत्कुमारचक्रवर्ती प्रबंध, प्रा., गद्य, आदि: सणकुमारेण भंते, अंतिः दुक्खाणमंत करिस्सति.
२. पे. नाम. साधुगुण पद, पृ. १आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: वाणी तो० गुरु तो; अंति: (-), (अपूर्ण, पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., मात्र प्रथम पद लिखा है.) ३४४५६. चिंतामणीपार्श्वनाथ स्तोत्र मंत्रगर्भित, संपूर्ण वि. १९वी मध्यम, पृ. २, जैवे. (२३४११, १०X३०).
पार्श्वजिन स्तोत्र - चिंतामणि, आ. कल्याणसागरसूरि, सं., पद्य, आदि: किं कर्पूरमयं सुधारस; अंति: बीजं बोधिबीजं ददातु श्लोक-११.
३४४५७. (+) पार्श्वजिन नमस्कार, संपूर्ण वि. १९वी मध्यम, पृ. ४, प्र. वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ, जैदे (२१x१०.५, ९४२८-३४).
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जयतिहुअण स्तोत्र, आ. अभवदेवसूरि प्रा. पद्य वि. १२वी आदि जय तिहुयणवरकप्परुक्ख, अंतिः अभव० विन्निवह आणदिव गाथा- ३०.
३४४५८. शत्रुंजयकार्तिपुनमचेत्रिपुनिमतिर्थकल्प सह टवार्थ, संपूर्ण वि. १९१० कार्तिक शुक्ल, १५, श्रेष्ठ, पृ. २, प्रले. पं. नगविजय; पठ. पं. चुनीविजय गणि (गुरु पं. नगविजय), प्र.ले.पु. सामान्य, दे., (२०X११, ७x४२).
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