Book Title: Jivan ki Pothi
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 6
________________ अनुक्रम ६५ • ईश्वर : मैत्री १. क्या ईश्वर है ? २. क्या ज्ञान ईश्वर है ? ३. क्या मैं ईश्वर हूं? ४. मैत्री : रोग के साथ ५. मैत्री : बुढ़ापे के साथ ६. मैत्री : वर्तमान के साथ ७. मैत्री : जीवन के साथ ८. मैत्री : क्यों ? • प्रश्न है प्रश्न १. प्रश्न है दृष्टिकोण का २. प्रश्न है अनासक्ति का ३. प्रश्न है सुखवाद या सुविधावाद का ४. प्रश्न है सीख देने वालों का ५. प्रश्न है आलोचना का ६. प्रश्न है आदत को बदलने का ७. प्रश्न है अखण्ड व्यक्तित्व का ८. प्रश्न है नियोजन का • जीवन की पोथी १. जीवन की पोथी २. बचपन ३ नए मस्तिष्क का निर्माण ४. काम-शक्ति का विकास ५. शक्ति का विकास और प्रदर्शन ६. अध्यात्म की चतुष्पदी १३० १४२ १४८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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