Book Title: Jivan ke Kalakar Sadguru
Author(s): Pushkar Muni
Publisher: Z_Jinvani_Guru_Garima_evam_Shraman_Jivan_Visheshank_003844.pdf

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Page 2
________________ 10 जनवरी 2011 उठता है जिनवाणी गुरु बिन कौन बतावे वाट । पथ-प्रदर्शक सद्गुरु सच्चा पथप्रदर्शक है। वह भूले-भटके और गुमराह इन्सानों को मार्ग दिखलाता है । हताश और निराश व्यक्तियों में विद्युत सदृश प्रेरणाएँ देता है। कुमार्ग से हटाकर सन्मार्ग की ओर बढ़ाता है । वह मोह, माया और मिथ्यात्व के अंधकार से उबारता है, एतदर्थ ही केशवदास ने गाया है चिनगारी सद्गुरु शरण बिन, अज्ञान तिमिर टलशे नहीं रे । सद्गुरु की शरण ग्रहण किये बिना अज्ञान - अन्धकार कभी नष्ट नहीं होगा। गुरु शब्द का अर्थ ही वैयाकरणों ने गु-अन्धकार, रु-नाश करने वाला किया है। जो अज्ञान अन्धकार को नष्ट करता है वह गुरु है । कहा भी है 35 'गु शब्दस्त्वन्धकारस्य', 'रु' शब्दस्तन्निरोधकः अन्धकारनिरोधत्वाद् गुरुरित्यभिधीयते ॥ हमें ज्ञान की चिनगारी देते हैं, जैसे एक बहिन जिसे भोजन निर्माण करना है, पर पास में माचिस नहीं है तो वह सन्निकटस्थ पड़ौसी के वहाँ जाती है और उसके चूल्हे में से एक चिन्गारी लाती है तथा उसे सुलगा कर भोजन का निर्माण कर लेती है वैसे ही सद्गुरु के पास में से ज्ञान की चमचमाती चिनगारी लेकर हमें अपने जीवन का नव-निर्माण करना है । - पावर हाउस Jain Educationa International सद्गुरु ज्ञान का पावर हाउस है। पावर हाउस में पावर पूर्ण हो, पर यदि बल्ब में विकृति हो अथवा नेगेटिव-पोजिटिव तार टूटे हुए हों तो आप कितना ही स्विच दबावें तो भी प्रकाश नहीं होगा। सद्गुरु रूपी पावर हाउस में ज्ञान का पूर्ण पावर भरा हुआ है। यदि हमारे जीवन रूपी बल्ब में मिथ्यात्व की विकृति है या विनय और विवेकरूपी तार टूटे हुए हैं तो बड़े से बड़े गुरु की शरण प्राप्त करके भी हम अपने जीवन को प्रकाशित नहीं कर सकते । भगवान श्री महावीर के पास स्वर्ण महलों में रहने वाले सम्राट् आये, राजा आये, राजकुमार आये, राजरानियाँ आईं, राजमाताएँ आईं, और राजकुमारियाँ आईं, ऊँची अट्टालिकाओं में रहने वाले इभ्य सेठ आये, सेठानियाँ आईं, सेठ - पुत्र आये, सेठ-पुत्रियाँ आईं। टूटी-फूटी झोपड़ियों में रहने वाले दीन आये, अनाथ आये, पर जिनके जीवन-रूपी बल्ब में मिथ्यात्व-रूपी विकृति नहीं थी, जिनके विनय और विवेक रूपी तार टूटे हुए नहीं थे उनका जीवन प्रकाश से जगमगा उठा था, और जिनके जीवन रूपी बल्ब खराब थे, और विनयविवेक रूपी तार टूटे हुए थे उनके जीवन में प्रकाश नहीं हो सका । For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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