Book Title: Jinvallabhsuri Granthavali
Author(s): Vinaysagar, 
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 11
________________ यह मेरी मंगल कामना है और पाठकगण इस साहित्य का अध्ययन करके ज्ञानराशि प्राप्त करके प्रकाशक का प्रयत्न सफल करें। प्राचीन शास्त्रोद्धार के ऐसे महान् प्रयत्न के लिये डॉ. विनयसागरजी को हमारा हार्दिक धन्यवाद दिनांक : ९-७-२००४ कुंभण (वाया - महुवाबंदर) (जिला- भावनगर) (सौराष्ट्र) गुजरात पिन ३६४२९० - पूज्यपाद आचार्य देव श्री विजयसिद्धिसूरीश्वर पट्टालंकार पूज्यपाद आचार्य देव श्री मेघसूरीश्वर शिष्य पूज्यपाद गुरुदेव मुनिराज श्री भुवनविजयान्तेवासी मुनि जम्बूविजयः Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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