Book Title: Jinruddhisuri Jivan Prabha
Author(s): Fulchand Harichand Doshi
Publisher: Jinduttasuri Gyanbhandar
View full book text
________________
: ३२४ :
જીનઋહિરિ જીવન-પ્રભા आचार्यस्यानुमत्या जिनपदक भृतो रत्नसूरीश्वरस्य वासक्षेपंचकार प्रमुदित मनसा श्री गुलाबोमुनीन्द्रः ॥३॥
" स्रग्धरा" नन्दाभ्राभ्राश्चि वर्षे तपसि वदितिथौजीव वारेच षष्ठ्या मादेश प्राप्य राया विहित विधिकृते श्रीहरि श्रेष्टिवर्यः॥ श्रेष्ठि श्री वालुभाई सुबिंधि मघटयत्सन्मुखोऽदान्मुहूर्त चक्रे श्री मन्जिनद्धि प्रखर वरदसरीन्द्रमूर्तेः प्रतिष्ठाम् ॥४॥
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com

Page Navigation
1 ... 376 377 378 379 380 381 382