Book Title: Jinmurti Pooja Sarddhashatakam
Author(s): Sushilsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti

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Page 10
________________ प्रस्तावना यह 'श्रीजिनमूत्तिपूजासार्द्ध शतकम्' जैन धर्मदिवाकरशास्त्राविशारद् साहित्यरत्न पूज्य आचार्य श्री सुशीलसूरि महाराज की अनुपम-कृति है। मूर्तिपूजा की प्रामाणिकता एवं प्राचीनता को सरल एवं सरस रीति से प्रकट करने की दक्षता, भाषा-शैली की प्राञ्जलता, पालंकारिता एवं रससिद्धता रचयिता की रचना में चार चाँद लगाने में सर्वथा सहायक हुए हैं। सम्प्रति, संस्कृत-साहित्य-रसास्वादकों की न्यूनता परिलक्षित होते हुए संस्कृत भाषा को महत्त्व प्रदान करते हुए आचार्यश्री का रचनाधमित्व स्वरूप देववाणी संस्कृत को अमृतवर्षी सिद्ध करता है। विषय को स्फुट एवं सर्वग्राही बनाने की अभिलाषा से ही प्राचार्यश्री ने संस्कृत भावानुवाद एवं हिन्दी अनुवाद को भी साथ ही आत्मसात् किया है । गुजराती मातृभाषा से प्राप्यायित मानस होने पर भी हिन्दी की प्राञ्जलता एवं हिन्दी के प्रति आपका अनुराग प्रशंसनीय है । फलतः संस्कृत एवं हिन्दी दोनों भाषा साहित्यों को सजाने वाली यह रचना अपना सहज स्थान बनाने में सक्षम होगी--ऐसा मेरा विश्वास है । ( ७ )

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