Book Title: Jinabhashita 2009 05
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 32
________________ समाचार पूज्य मुनि श्री सुमतिसागर जी का पुण्य समाधिमरण परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी के शिष्य पूज्य । परिणामों को निर्मल बनाने में रत रहे। मुनिश्री सुमतिसागर मुनि श्री निर्णयसागर जी महाराज, मुनिश्री प्रणम्यसागर जी, | जी के सान्निकट मुनि श्री प्रणम्यसागर जी हर समय बने मुनि श्री चन्द्रसागर जी एवं मुनि श्री सुमतिसागर जी का | रहे व बारह भावना का चिन्तन कराते रहे। मंगल प्रवेश अशोक नगर (म०प्र०) में २३ जनवरी २००९ मुनि श्री सुमतिसागर जी ने समता, संयम, आत्मको जब हुआ, सारे नगरवासियों ने पूज्य मुनिवरों की भव्य | आराधना करते हुये नश्वर शरीर के प्रति विरक्त हो, अगवानी की। किसे मालूम था कि तप, संयम की सुरभि | "अरिहंत बनना है मुझे, सिद्ध बनना है मुझे, वीर तेरी वंदना से पावन यह नगर सहस्रों वर्षों तक मुनि श्री सुमतिसागर | का छंद बनना है मुझे" इत्यादि भव्य भावना भाते हुये आत्मा जी महाराज की समाधिस्थली के गौरव से मंडित हो जायेगा।में स्थित हो देह का परित्याग कर दिया। स्मरण हो, अशोक ४५ दिवसीय अशोक नगर प्रवास में मुनिश्री की अस्वस्थता | नगर जिले के अतिशय क्षेत्र श्री थूबौन जी में आचार्य गुरुवर चिंतातर रहा। अनेकों स्थानों से | श्री विद्यासागर जी महाराज से दीपावली के दिन पू० मनि मुनिश्री के दर्शन, अर्चन हेतु श्रावकों का तांता लगा रहा।| श्री सुमतिसागर जी महाराज ने आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत लिया सभी जिनालयों में भक्तामर जी का अखण्ड पाठ, | था। उसी जिले की वसुधा पर ८ मार्च २००९ गुरुवार, श्री शांतिनाथ विधान, शांति जाप, आदि का अनुष्ठान किया | फाल्गुन सुदी १२ को, पुण्य नक्षत्र में ११.४५ बजे नश्वर गया। भक्तिभावों द्वारा हर हृदय रोम-रोम से यही प्रार्थना | देह का परित्याग कर दिया। जब विमान में मुनि श्री सुमति करता रहा हे! शांतिप्रदाता प्रभो ! मुनि श्री को आरोग्य प्रदान | सागर जी महाराज को समाधि स्थल ले जाया गया, तो सारा करें। दिगम्बर जैन पंचायत अध्यक्ष श्री रमेश चौधरी ने | नगर श्रद्धानवत हो साथ हो गया। समूचे नगर के प्रतिष्ठान प्रख्यात चिकित्सा विशेषज्ञों की सेवायें उपलब्ध कराने में | बंद थे। जगह-जगह से श्रद्धालुओं का समाधि-स्थल पर पूर्ण प्रयास किया। आचार्यश्री को अनवरत रूप से मुनिश्री | जमावड़ा होता गया। समाधि-स्थल सुमति उद्यान में विधिके स्वास्थ्य से अवगत कराते रहे। बाहरी व्यवस्था पंचायत- विधान, मंत्रोच्चार के साथ संत शिरोमणि विद्यासागर जी पदाधिकारी देख रहे थे, तो आंतरिक व्यवस्था में मुनि श्री | महाराज एवं सुमतिसागर जी महाराज के जयघोष से गगन निर्णयसागर जी ससंघ, ब्र० भैया श्री अरुण जी, भैया सचिन | गूंज उठा। ४४ वर्ष की उम्र, १७ वर्षों की मोक्षमार्ग की जी, राजकुमार जी, त्रिलोक भैया जी, अशोक भैया जी ने | साधनावाले, धर्म प्रभावना में रत साधक मुनि श्री सुमतिसागर सेवा एवं धर्म आराधना द्वारा मुनिश्री के भावों को उत्कृष्ट | जी को, जिनके गुरुवर आचार्य श्री विद्यासागर जी जैसे बनाये रखा। मुनिश्री के सल्लेखना का समाचार ज्ञात होते तेजस्वी साधक हों, अपना लक्ष्य पाना दुष्कर नहीं होगा। ही ललितपुर से पूज्य मुनि श्री अजितसागर जी महाराज, ___ भानु चौधरी एलक श्री विवेकानंद जी महाराज अल्प समय में अशोक मंत्री श्री दि० जैन पंचयात नगर पहुँचे और मुनिश्री को सेवा-सम्बोधन आदि के द्वारा । अशोकनगर श्रवणबेलगोला में आयोजित-शास्त्रि परिषद् शिविर-अधिवेशन स्थगित अ.भा. दिगम्बर जैन शास्त्रि परिषद् का ग्रीष्मकालीन शिक्षण-प्रशिक्षण शिविर व अधिवेशनादि जो कि २१ जून से २६ जून २००९ तक श्रवणबेलगोला (कर्नाटक) में आयोजित था, माननीय डॉ० श्रेयांसकुमार जैन (अध्यक्ष-शास्त्रिपरिषद्) के निर्देशानुसार अपरिहार्य कारणों से स्थगित हो गया है। अतः सम्बन्धित प्रशिक्षणार्थी एवं माननीय सदस्यगण इस सूचना से अवगत हों। शिविर आयोजन की अगली सूचना निर्णयानुसार आगे यथाशीघ्र प्रसारित की जायेगी। पं० पवन कुमार शास्त्री 'दीवान' प्रचार मंत्री- शास्त्रिपरिषद 30 मई 2009 जिनभाषित - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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