________________
मुनि श्री योगसागर जी की कविताएँ
चमत्कार
याचना
है विधियों के संस्कारों में चमत्कार कभी नमस्कार सत्कार तथा पुरस्कार तो कभी पत्रकार सा अचानक ही तिरस्कार, बहिष्कार
और धिक्कार का अंधकार छा जाता है।
जीवन के उद्यान में दीनता का बीज कहीं से गिर गया कालान्तर में याचना का अंकुर फूट गया और कुछ ही दिनों में विशाल लता के रूप में छा गया। जिसमें बांछना के फूल खिल गये घृणा की महक से सारा उद्यान छा गया जहाँ अहर्निश भ्रमररूपी मित्र वात्सल्य भावों से गुंजायमान होते थे वहीं आज अपनी नासा को बन्द किये निराश लौट रहे।
मम और रण जहाँ ऋण है वहाँ रण हैयही मरण का कारण है पर जहाँ जिनवर का सतत सुमरण है वहाँ सु मरण है जिसके स्मरण के कारण स्व में रमता है यही मुक्ति-वधू के वरण में कारण है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org