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सम्मान समारोह में जर्मनी के प्रसिद्ध वयोवृद्ध, जैनविद्या । जैन योगा प्राकृत सेन्टर' में इन भारतीय विद्वानों का व्याख्यान
मनीषी प्रोफेसर डॉ. विलियम बोली और प्रोफेसर डॉ. एवं सम्मान डॉ. नरेन्द्र जैन योगीराज द्वारा किया गया। • क्लास ब्रूह को प्रदान किये गये। श्रवणबेलगोला प्राकृत पेरिस (फ्रांस) में प्रो. डॉ. नलिनी बलवीर ने प्रो. प्रेम
संस्थान के निर्देशक प्रोफेसर प्रेम सुमन जैन, प्रोफेसर | सुमन जैन एवं डॉ. श्रीमती सरोज जैन का स्वागत किया हम्पा नागराजैय्या बैंगलोर, श्री अजित बेनाडी जर्मनी एवं | एवं वहाँ पर जैनधर्म के अध्ययन की जानकारी दी। डॉ. श्रीमती सरोज जैन, श्रवणबेलगोला ने जर्मनी में जाकर | वारसा (पोलैण्ड)कि में प्रो. हम्पाना के दो व्याख्यान हुए बर्लिन टेक्निकल यूनिवसिटी केम्पस के सामने स्थित | एवं आचार्य अकलंक पर कार्य करने वाले प्रोफेसर पियार्ट राधारानी इंडियन रेस्टोरेन्ट के सभागार में इस सम्मान | बाकरोविज ने उनका सम्मान किया। समारोह को आयोजित किया। इस सम्मान समारोह में
सरोज जैन प्रोफेसर बोली एवं प्रोफेसर ब्रह्न के परिवार के सदस्यों
विभागध्यक्ष, प्राकृत-हिन्दी बाहुबली प्राकृत के अतिरिक्त बर्लिन, वर्जवर्ग, हेडलवर्ग, म्यूनिख तथा
विद्यापीठ धवलतीर्थम् श्रवणबेलगोला लंदन यूनिवर्सिटी के लगभग ४५ विद्वान् एवं पत्रकार प्राच्य विद्यापीठ, शाजापुर (म.प्र.) : गौरवपूर्ण सम्मिलित हुए।
उपलब्धियाँ स्वागत वक्तव्यों के उपरांत २००५ वर्ष का प्राकृत अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त जैन-विद्वान् डॉ. सागरमल ज्ञानभारती इंटरनेशनल अवार्ड प्रोफेसर विलियम बोली, जी जैन ने भारतीय प्राच्य-विद्याओं के शिक्षण एवं शोध वेम्वर्ग तथा २००६ वर्ष का अवार्ड प्रोफेसर क्लास ब्रूह्न, तथा योग एवं ध्यान की परम्पराओं के व्यावहारिक प्रशिक्षण बर्लिन को प्रदान करने की घोषणा की गई। इसके साथ | देने के उद्देश्य से वर्ष १९९७ में प्राच्य विद्यापीठ की ही प्रोफेसर प्रेम सुमन जैन, श्री अजित बेनाडी और प्रो.| स्थापना की, जिसे वर्ष २००० में विक्रम विश्वविद्यालय, हम्पाना ने इन दोनों विद्वानों को इलायची और पुष्पों से | उज्जैन (म.प्र.) द्वारा शोध-संस्थान के रूप में मान्यता निर्मित सुभाषित माला, मैसूरी पगड़ी और कढ़ाईयुक्त प्रदान की गई। मनोरम शाल पहनाकर सम्मानित किया। प्रो. हम्पाना ने | विगत् ५० वर्षों से राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर दोनों विद्वानों के अवार्ड प्रशस्ति-पत्रों का वाचन किया। पर जैन-विद्या के क्षेत्र में किए जा रहे उनके सराहनीय प्रो. प्रेम सुमन जैन ने सरस्वती की सुन्दर प्रतिमाओं के | योगदान के लिए 'फेडरेशन ऑफ जैन एसोसिएशन्स इन साथ एक-एक लाख रुपये की अवार्ड राशि दोनों विद्वानों | नॉर्थ अमेरिका (यू.एस.ए.) नामक महासंघ द्वारा वर्ष को समर्पित की। इस मनोरम दृश्य को अतिथियों ने | २००६-०७ में डॉ. सागरमल जी जैन को 'जैना प्रेसिडेन्शिअपनी तालियों की गड़गड़ाहट से ऐतिहासिक बना दिया।| यल अवार्ड' से सम्मानित किया गया। इसी प्रकार, म.प्र. इसी अवसर पर डॉ. श्रीमती सरोज जैन श्रवणबेलगोला | शासन के संस्कृत बोर्ड द्वारा उन्हें 'वागर्थ सम्मान' से ने समुपस्थित प्रोफेसर क्लास ब्रह्न की जीवन-संगिनी | अलंकृत किया गया। श्रीमती कृष्णा बह्न और प्रोफेसर विलियम बोली की डॉ. सागरमल जी जैन के निर्देशन में साध्वी श्री जीवन संगिनी श्रीमती प्रोफेसर आनेग्रेट बोली का शाल | प्रीतिदर्शनाश्री जी द्वारा 'यशोविजय का अध्यात्मवाद' उढ़ाकर सम्मान किया।
विषय पर लिखित एवं प्रस्तुत शोध-प्रबन्ध पर २००६बर्लिन (जर्मनी) के इस सम्मान समारोह के साथ | ०७ में जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) इस विदेश यात्रा में प्रोफेसर हम्पाना एवं प्रोफेसर प्रेम | लाडनूं द्वारा शोध-उपाधि (पी.एच.डी.) प्रदान की गई। सुमन जैन के फ्री यूनिवर्सिटी बर्लिन, वर्जवर्ग यूनिवर्सिटी | इस प्रकार विद्यापीठ के समृद्ध राजगंगा ग्रन्थागार एवं एवं म्यूनिख यूनिवर्सिटी के प्राच्यविद्या संस्थानों में प्राकृत | | डॉ. सा. के प्रत्यक्ष मार्गदर्शन एवं निर्देशन में १९९७कथा साहित्य, श्रवणबेलगोला की सांस्कृतिक विरासत, | २००७ तक की अवधि में कुल १४ शोधार्थियों को विभिन्न कर्नाटक के अभिलेख, जैनधर्म एवं साहित्य पर विशेष | विश्वविद्यालयों से शोध-उपाधि प्राप्त हो चुकी है। इस व्याख्यान भी आयोजित हुए। बर्लिन के 'डास इन्टरनेशनल | दृष्टि से प्राच्य विद्यापीठ, शाजापुर की राष्ट्रीय स्तर पर
- जून-जुलाई 2008 जिनभाषित 47
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