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अनन्तर पादमुरज बन्धः । अभिषिक्त सुरैलॊकै स्विमिभक्त परैर्नकैः। वासु पूज्य मयोशेषस्त्वंसुपूज्यःकयोदशः॥१८॥
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___ एवं६१.६६, १७ असोका ज्ञेया:
बेटेकाक्षालात सुरज बन्धः। कमतामक्रम बीमताभ सश्रमम् । श्री मद्विमल गईभ वामकामनमक्षसम्॥५॥
श्री मति मलम ई. में वा मका मन ने क्षम
एवं ८९,९१श्लोको
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