Book Title: Jambudwip Samas
Author(s): Kunvarji Anandji
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

View full book text
Previous | Next

Page 81
________________ [ ७२ ] 11 6 11 मियमहुरं अणवजं, कइया कजे वयं वइस्सामि १ । सो हिस्सामि य कइया, बायालीसेसणादोसे ? पडिले हिय सुपमजिय, उवगरणायाणमोयणे कइया । सुनिरिक्खिय सुपमजिय, थंडिलखेलाइपरिडवणं १ ॥ ९ ॥ मणवयकायाण कया, कुसलाण पवत्तणेण इयराण | संमं नियत्तणेणं, तिगुत्तिगुत्तो भविस्सामि ? विच्छिन्नविसयवंछो, देहविभूसाइव जिओ कइया | परिजुन्नमयलवत्थो, सामन्नगुणे धरिस्सामि ? कइया कालविहाणं, काउं आयंबिलाइतवकम्मं । कयजोगो जुग्गसुयं, अंगोवंगं पढिस्सामि ? कइया पकप्पपणकप्प-कप्पववहारजीयकप्पाई | छेयसुयं सुयसारं, विसुद्धसद्धो पढिस्सामि ? सीलिंग संगसुभगो, अगंगभंगम्मि विहियसंसग्गो । चंगसंवेगरंगो, कया रमिस्सामि निस्संगो ? परदूसणपरिमुको, अत्तुक्करिसम्म विमुहपरिणामो । दसविहसामायारी - पालणनिरओ कया होहं ? सहमाणो य परीसह - सिन्नं नीउच्चमज्झिमकुलेसुं । लद्धावलद्धवित्ती, अन्नायउंछं गवेसिस्सं ? रागोसविउत्तो, संजोयणविरहिओ कया कजे । पन्नगबिलोवमाए, भुंजिस्सं सम्ममुवउत्तो ! 1180 11 ॥ ११ ॥ ॥ १२ ॥ ॥ १३ ॥ ॥ १४ ॥ ॥ १५ ॥ ॥ १६ ॥ ॥ १७ ॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90